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भारत के 7 महान वैज्ञानिक जो है पूरी दुनिया में मशहूर

March 26, 2017 By Surendra Mahara 14 Comments

भारत के 7 महान वैज्ञानिकों की सूची – Top 7 Greatest Indian Scientists in Hindi

Top 7 great indian scientists info in hindi.

हमारे देश में समय – समय पर ऐसे महान लोगो (Greatest Persons) ने जन्म लिया है जिन्होंने हमारे देश का नाम पूरे विश्व में ऊँचा किया है. इन महान लोगो ने न सिर्फ भारत को बल्कि पूरे विश्व को अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है.

ऐसे ही महान लोगो में शुमार है हमारे देश के 7 प्रसिद्ध महान वैज्ञानिक (Top 7 Great Indian Scientists), जिन्होंने विज्ञान (Science) के क्षेत्र में इस दुनिया को नयी खोज दी.

इस Article में हम आपके साथ उन 7 महान वैज्ञानिको के बारे में जानकारी दे रहे है, जो अपनी Telent के कारण पूरे विश्व में मशहूर है.

Top 7 Greatest Indian Scientists in Hindi

             Great Indian Scientists

1. चंद्रशेखर वेंकट रमन (C. V. Raman) –

   C. V. Raman

भौतिकी में नोबेल पुरस्कार ( Nobel Prize ) पाने वाले सर चंद्रशेखर वेंकट रमन का जन्म तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली शहर में 7 नवम्बर सन 1888 को हुआ था.

इनके पिता का नाम चंद्रशेखर अय्यर व माता का नाम पार्वती अम्मा था। रमन के पिता भौतिक विज्ञान व गणित के टीचर थे जिस कारण उनकी कई किताबें रमन ने पढना शुरू कर दिया.

जिसका फल इन्हें आगे जाकर मिला और इन्होने स्पेक्ट्रम (Spectrum) से संबंधित रमन प्रभाव (Raman effect) का आविष्कार किया. इसी के चलते इन्हें सन 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला. 

भारत सरकार ने विज्ञान के क्षेत्र में बहुमूल्य योगदान के लिए देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ भारत रत्न ’ दिया. साथ ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी भी उन्हें प्रतिष्ठित ‘लेनिन शांति पुरस्कार’ से सम्मानित किया.

सर रमन ने प्रमुख रूप से प्रकाश के प्रकीर्णन, रमण प्रभाव, तबले और मृदंगम के संनादी (हार्मोनिक) की प्रकृति की खोज की. बेंगलुरू में सर सी. वी रमन ने रमन रिसर्च इंस्टीटयूट की स्थापना की.

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2. हरगोविंद खुराना (Har Gobind Khorana) –

  Har Gobind Khorana

चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ हरगोविंद खुराना को जीन की संश्लेषण (Gene Synthesis) के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है.

इसका जन्म 9 जनवरी 1922, रायपुर, मुल्तान (अब पाकिस्तान में) में हुआ था.

हरगोविंद खुराना का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था पर हरगोविंद खुराना ने हमेशा ही अपनी पढाई पर ध्यान दिया.

जेनेटिक कोड को समझने और प्रोटीन संश्लेषण में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए सन 1968 में डॉ खुराना को चिकित्सा विज्ञान का नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया.

यह पुरस्कार डॉ खुराना को दो अमेरिकी वैज्ञानिकों डॉ. राबर्ट होले और डॉ. मार्शल निरेनबर्ग के साथ साझा दिया गया. इनको बताया था की डी. एन. ए. प्रोटीन्स का संश्लेषण किस प्रकार से करता है.

अमेरिका ने उन्हें ‘नेशनल एकेडमी ऑफ़ साइंस’ की सदस्यता भी प्रदान की है. इनका निधन 9 नवम्बर 2011 को हुआ.

3. सुब्रमण्‍यम चंद्रशेखर (Subrahmanyan Chandrasekhar) –

   Subrahmanyan Chandrasekhar

सन 1983 में भौतिकी में नोबल पुरस्कार से सम्मानित बीसवीं सदी के महानतम वैज्ञानिकों में शुमार सुब्रमण्‍यम चंद्रशेखर का जन्म 10 अक्टूबर सन 1910 को लाहौर में हुआ था.

सुब्रमण्‍यम चंद्रशेखर को तारों पर की गयी अपनी खोज के लिये जाना जाता है. इन्होने खगोलशास्त्र, भौतिकी और मैथ के क्षेत्र में बहुत ही बेहतरीन कार्य किये.

सुब्रमण्‍यम चंद्रशेखर भारत के महान वैज्ञानिक व नोबल पुरस्कार विजेता सी. वी. रमन के भतीजे थे.

इन्होने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने माता – पिता से ही ली तथा बारह वर्ष में हिन्दू हाई स्कूल में एडमिशन लिया.

इन्होने भौतिकी में स्नातक की डिग्री सन 1930 में पूरी की और आगे की पढाई के लिए इंग्लैंड चले गये. चन्द्रशेखर ” चंद्रशेखर लिमिट ” की खोज के लिए हमेशा ही याद रखा जाए. इनकी मृत्यु 21 अगस्त सन 1995 को हुई.

4. ए. पी. जे. अब्‍दुल कलाम (APJ Abdul Kalam) –

     Dr. A.P.J. Abdul Kalam

मिसाइल मैन (Missile Man) के नाम से प्रसिद्ध और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ ए. पी. जे. अब्‍दुल कलाम का जन्म 15 October सन 1931 को रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ था.

सन 1962 में डॉ कलाम ‘ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ‘ में शामिल हुए.

डॉ कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय दिया जाता है. इनके प्रयासों के कारण ही भारत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन पाया.

सन 1998 के पोखरण द्वितीय परमाणु परिक्षण में इनकी प्रमुख भूमिका थी. डॉ. कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया था व अग्नि एवं पृथ्वी जैसी मिसाइल्स को सिर्फ स्वदेशी तकनीक से बनाया.

डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम को समाज व देश के लिए किये गये अपने सराहनीय कार्यो के लिए कई पुरस्कार मिले जिसमे भारत सरकार द्वारा दिए गये भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न, पद्म भूषण व पद्म विभूषण शामिल है. इनका निधन 27 जुलाई सन 2015 को शिलोंग, मेघालय में हुआ.

5. जगदीश चंद्र बसु (Jagdish Chandra Basu) –

   Jagdish Chandra Basu

डॉ॰ जगदीश चंद्र बोस का जन्म 30 नवंबर सन 1858 को बंगाल में हुआ था.

सर जगदीश चंद्र बोस को भारत के प्रमुख वैज्ञानिको में गिना जाता है. इन्हें भौतिकी, जीवविज्ञान, वनस्पतिविज्ञान तथा पुरातत्व का बहुत ज्यादा ज्ञान था.

बोस पहले ऐसे वैज्ञानिक थे जिन्होंने रेडियो और सूक्ष्म तरंगों की प्रकाशिकी पर कार्य किया और वनस्पति विज्ञान में कई महत्त्वपूर्ण खोजें की.

इन्होने अपने स्नातक की शिक्षा ब्रिटिश भारत के बंगाल प्रान्त में सेन्ट ज़ैवियर महाविद्यालय, कलकत्ता से की.

चिकित्सा की शिक्षा लेने के लिए बोस लन्दन विश्वविद्यालय गये लेकिन वहां स्वास्थ्य बिगड़ जाने के कारण वे भारत लौट आये.

भारत आने के बाद उन्होंने प्रेसिडेंसी महाविद्यालय में भौतिकी के प्राध्यापक का पद संभाला और साथ में वैज्ञानिक प्रयोग करते रहे.

इन्होने इसके बाद एक यन्त्र क्रेस्कोग्राफ़ का आविष्कार किया जिससे विभिन्न उत्तेजकों के प्रति पौधों की प्रतिक्रिया का अध्ययन किया. जिससे इन्होने यह खोजा की वनस्पतियों और पशुओं के ऊतकों में काफी समानता होती है.

वे सर बोस ही थे जिन्होंने पहली बार इस दुनिया को बताया की पौंधों में भी जीवन होता है. डॉ॰ जगदीश चंद्र बोस को रेडियो विज्ञान व बंगाली विज्ञान कथा-साहित्य का पिता माना जाता है. इनकी मृत्यु 23 नवंबर सन 1937 को हुई.

Read Full Biography Of Jagdish Chandra Basu

6. होमा जहाँगीर भाभा (Homa Jahangir Bhabha) –

    Homa Jahangir Bhabha

होमी जहांगीर भाभा भारत के महान परमाणु (Atom) वैज्ञानिक थे जिन्हें भारत के परमाणु उर्जा कार्यक्रम का जनक कहा जाता है.

वे भाभा ही थे जिनके प्रयासों के कारण ही भारत आज विश्व के प्रमुख परमाणु संपन्न देशों में शामिल है.

होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर सन 1909 को मुम्बई के एक सभ्रांत पारसी परिवार में हुआ था. होमी जहांगीर भाभा ने कॉस्केट थ्योरी ऑफ इलेक्ट्रान का प्रतिपादन किया व इसके साथ ही कॉस्मिक किरणों पर भी काम किया जो पृथ्वी की ओर आते हुए वायुमंडल में प्रवेश करती है.

उन्होंने ‘टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ फंडामेंटल रिसर्च’ (टीआइएफआर) और ‘भाभा एटॉमिक रिसर्च सेण्टर’ की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

वे भाभा ही थे जिन्होंने मुम्बई में भाभा परमाणु शोध संस्थान (Bhabha Atomic Research Institute) की स्थापना की थी. भाभा की एक विमान दुर्घटना में 24 जनवरी, 1966 को मृत्यु हो गई.

Read Full Biography Of Homa Jahangir Bhabha

7. बीरबल साहनी (Birbal Sahni) –

    Birbal Sahni

भारत के बेस्ट पेलियो-जियोबॉटनिस्ट (Paleo-Jiobotnist) डॉ बीरबल साहनी का जन्म 14 नवम्बर 1891 में शाहपुर जिले (अब पाकिस्तान में) के भेड़ा नामक गॉव में हुआ था. इनके पिता का नाम प्रो. रुची राम साहनी था.

इनके पिता एक शिक्षा शास्त्री, विद्वान और समाज सेवी थे जिन्होंने बचपन से ही बीरबल के अंदर विज्ञान को बढ़ावा दिया.

डॉ बीरबल साहनी एक भारतीय पुरावनस्पती वैज्ञानिक बने, जिन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के जीव अवशेषों का अध्ययन किया और इस क्षेत्र में बहुत सफलता पाई.

डॉ बीरबल ने लखनऊ में ‘बीरबल साहनी इंस्टिट्यूट ऑफ़ पैलियोबॉटनी’ की स्थापना की. पुरावनस्पति के क्षेत्र में इनका योगदान बहुमूल्य है. बीरबल साहनी की ख्याति पूरे विश्व में है.

Read Full Biography Of Birbal Sahni

दोस्तों ! हमें उम्मीद है की भारत के 7 महान वैज्ञानिको के बारे में लिखी गयी यह पोस्ट आपको जरुर पसंद आई होगी. भारत के और महान लोगो की जीवनी पढने के लिए Click करे : महान लोगो की जीवनी का विशाल संग्रह

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January 6, 2021 at 11:11 pm

Ihe information is short and enough really good info. 👍

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May 1, 2020 at 6:59 pm

A.P.J Abdul kalam sir is my favorite

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December 4, 2019 at 9:26 pm

8nambarhamra hoga

December 4, 2019 at 9:21 pm

Namsskar Sar mera nam Surya pratap singh ma farst Ham apni india ke Lia do A P J abdoul klaam ji ki thry new karnaama krna chate he

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ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जीवनी

”अपने मिशन में कामयाब होने के लिए, आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकचित्त निष्ठावान होना पड़ेगा।”

डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम आजाद भारत के 11वें एवं पहले गैर राजनीतिज्ञ राष्ट्रपति थे। उनके द्धारा भारत देश की प्रगति के लिए किए गए महत्वपूर्ण और उत्कृष्ट कामों की वजह से आज भी देश उन्हें याद करता है, उनके प्रति आज भी सभी देशवासियों के हृदय में अपूर्व सम्मान है। वे जनता के सबसे चहेते और लोकप्रिय राष्ट्रपति थे।

इसके साथ ही वे एक मशहूर भारतीय एयरोस्पेस वैज्ञानिक भी थे, जिन्होंने तकनीकी और विज्ञान के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान देकर भारत को एक नई दिशा दी। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आजाद जी देश के ऐसे महान व्यक्ति थे, जिन्होंने सर्वप्रथम देश में ‘अग्नि’ मिसाइल को उड़ान दी।

इसलिए उन्हें भारत के मिसाइल मैन के नाम से भी जाना जाता है। अब्दुल कलाम जी दूरदर्शी सोच वाले प्रख्यात वैज्ञानिक, महान व्यक्तित्व वाले एक प्रभावशाली वक्ता एवं ईमानदार और कुशल राजनैतिज्ञ थे। वे हर किसी की जीवन के लिए एक प्रेरणा हैं, उन्होंने अपने जीवन में संघर्ष की कड़ी कसौटियों से गुजरकर सफलता की असीम ऊंचाईयों को छुआ है।

उनके प्रेरणात्मक विचार आज भी लाखों युवाओं के अंदर आगे बढ़ने का जोश और जज्बा पैदा करते हैं, आइए जानते हैं भारत के इस प्रभावशाली और महामहिम व्यक्तित्व डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम आजाद जी  के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में –

A. P. J. Abdul Kalam

ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जीवनी – A. P. J. Abdul Kalam Biography in Hindi

अबुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम
15 अक्टूबर 1931, रामेश्वरम, तमिलनाडू, ब्रिटिश भारत
जैनुलाब्दीन मारकयार
आशिमा जैनुलाब्दीन
अविवाहित
1954 में, मद्रास विश्वविद्यालय से एफिलिएटेड सेंट जोसेफ कॉलेज से फिजिक्स से ग्रेजुएशन
27 जुलाई 2015, शिलांग, मेघालय, भारत

जन्म, परिवार एवं प्रारंभिक जीवन –

15 अक्टूबर, साल 1931 को तमिलनाडु में रामेश्वरम के धुनषकोड़ी गांव में एक मछुआरे के घर में ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी जन्में थे। उनका पूरा नाम अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम था। वे जैनुलअबिदीन और अशिअम्मा की सबसे छोटी संतान थे।

अब्दुल कलाम जी के पिता जी मछुआरों को नाव किराए पर देकर किसी तरह अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे। अब्दुल कलाम जी से बड़े तीन भाई और 1 बहन थे। घर की माली हालत सही नहीं होने की वजह से अब्दुल कलाम जी को शुरुआत से ही काफी संघर्ष करना पड़ा था।

लेकिन वे इन कठिनाइयों से कभी घबड़ाए नहीं बल्कि सच्चे दृढ़संकल्प और ईमानदारी के साथ आगे बढ़ते रहे और आगे चलकर उन्होंने अपने जीवन में असीम सफलताएं हासिल की।

पढ़ाई-लिखाई के लिए करना पड़ा काफी संघर्ष –

बेहद गरीब घर में पैदा होने की वजह से अब्दुल कलाम जी को अपनी पढ़ाई के लिए भी काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता था। वे अखबार बेचकर जो भी पैसे कमाते थे, उससे अपनी स्कूल की फीस भरते थे। अब्दुल कलाम जी ने अपनी शुरुआती शिक्षा रामनाथपुरम स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन स्कूल से पूरी की।

इसके बाद साल 1950 में उन्होंने तिरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज से फिजिक्स विषय से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने 1954 से 1957 तक मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से एरोनिटिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया।

इस तरह कठिन परिस्थितियों में उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी, और बाद में देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति के पद पर सुशोभित हुए और भारत के सबसे मशहूर वैज्ञानिक के रुप में अपनी पहचान बनाई।

एक प्रख्यात वैज्ञानिक के तौर पर  –

अद्भुत प्रतिभा वाले व्यक्तित्व अब्दुल कलाम जी ने अपनी पढ़ाई  पूरी करने के बाद रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में एक वैज्ञानिक के तौर पर काम कर अपने करियर की शुरुआत की। हमेशा कुछ नया और बड़ा करने की चाहत रखने वाले कलाम जी ने अपने वैज्ञानिक करियर की शुरुआत में ही एक छोटे से हेलीकोप्टर का डिजाइन तैयार कर लोगों पर अपना प्रभाव छोड़ा था।

वहीं इसमें कुछ दिनों तक नौकरी करने के बाद वे ‘इंडियन कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च’ के सदस्य भी रहे। फिर साल 1962 में वे भारत के महत्वपूर्ण संगठन- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) से जुड़े। फिर सन् 1962 से 1982 के बीच वे इस अनुसंधान से जुड़े और कई अहम पदों पर कार्यरत रहे। इसके बाद अब्दुल कलाम जी को भारत के सेटैलाइट लॉन्च व्हीकल परियोजना के निदेशक के पद का कार्यभार र्सौंपा गया।

अब्दुल कलाम जी ने यहां प्रोजेक्ट डायरेक्टर के पद पर रहते हुए भारत में अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान SLV-3 बनाया, जिसे साल 1980 में पृथ्वी की कक्षा के पास स्थापित किया गया। कलाम जी की इस सफलता के बाद उन्हें भारत के अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बना दिया गया।

विलक्षण प्रतिभा के धनी कलाम जी ने इसके बाद स्वदेशी गाइडेड मिसाइल की डिजाइन तैयार की एवं भारतीय तकनीक का इस्तेमाल कर अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें बनाकर विज्ञान के क्षेत्र में न सिर्फ अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया और भारत को तकनीकी रुप से संपन्न राष्ट्र बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

इसके बाद सन् 1992 से लेकर दिसंबर 1999 में डॉक्टर अब्दुल कलाम आजाद जी ने भारत के रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार के तौर पर काम किया। वहीं इस दौरान अटल वाजपेयी जी की केन्द्र में सरकार थी। और इसी समय दूसरी बार एपीजे अब्दुल कलाम जी की देखरेख में राजस्थान के पोखरण में सफलापूर्वक परमाणु परीक्षण किए गए और इसी के साथ भारत परमाणु हथियार बनाने वाला, परमाणु शक्ति से संपन्न और समृद्ध देशों में शुमार हो गया।

भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के तौर पर काम कर चुके  अब्दुल कलाम जी ने भारत में विज्ञान के क्षेत्र मे विकास और तरक्की के लिए विजन 2020 दिया। साल 1982 में डॉक्टर एपीज अब्दुल कलाम जी को डिफेंस रिसर्स डेवलपमेंट लेबोरेट्री का डायरेक्टर (DRDL) बना दिया गया। इसी दौरानअन्ना यूनिवर्सिटी द्धारा उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि से भी नवाजा गया।

यह वह समय था जब एपीजे अब्दुल कलाम आजाद ने डॉ. वीएस अरुणाचलम के साथ इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP) का प्रस्ताव तैयार किया था। इसके अलावा इसी दौरान आजाद साहब की अध्यक्षता में स्वदेशी मिसाइलों के विकास के एक कमेटी भी बनाई गई थी। वहीं सबसे पहले एक सीमित एवं मध्यम दूरी तक मार करने वाली मिसाइल बनाने पर जोर दिया गया। इसके बाद पृथ्वी से हवा में मार करने वाली टैंकभेदी मिसाइल और रिएंट्री एक्सपेरिमेंट लॉन्च वेहकिल (रेक्स) बनाने पर जोर डाला गया।

दूरदर्शी सोच रखने वाले कलाम जी के नेतृत्व में सन् 1988 में पृथ्वी, साल 1985 में त्रिशूल और 1988 में ‘अग्नि’ मिसाइल का परीक्षण किया गया। इसके अलावा अब्दुल कलाम जी की अध्यक्षता में  आकाश, नाग नाम की मिसाइलें भी बनाईं गईं।

साल 1998 में एपीजे अब्दुल कलाम जी ने रुस के साथ मिलकर भारत ने ब्रह्रोस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने पर काम करने की शुरुआत की। आपको बता दें कि ब्रह्रोस एक ऐसी मिसाइल है, जिसे आकाश, पृथ्वी और समुद्र कहीं पर भी दागा जा सकता है। इसी साल उन्होंने ह्रद्य चिकित्सक सोमा राजू के साथ मिलकर एक सस्ता ”कोरोनरी स्टेंट” का विकास किया, जिसे कलाम-राजू स्टेंट नाम दिया गया।

विज्ञान के क्षेत्र में अब्दुल कलाम जी के द्धारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान और सफलताओं के बाद उनका नाम दुनिया के सबसे मशहूर वैज्ञानिकों में गिना जाने लगा और उनकी ख्याति ‘मिसाइल मैन’ के रुप में  दुनिया के चारों कोनों में फैल गई। वहीं विज्ञान के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए उन्हें कई बड़े पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया।

देश के सबसे पहले गैरराजनीतिज्ञ राष्ट्रपति के रुप में –

भारत की ‘अग्नि’ मिसाइल को उड़ान देने वाले मशहूर वैज्ञानिक अब्दुल कलाम आजाद जी द्धारा भारत को एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाने एवं विज्ञान एवं भारतीय अनुसंधान एवं रक्षा के क्षेत्र में उनके द्धारा दिए गए महत्वपूर्ण योगदान देने की वजह से वे दुनिया भर में इतने मशहूर हो गए कि राजनैतिक जगत में कई राजनैतिक पार्टियां भी भी उनके नाम को भुनाने के जुगत में लग गईं।

एपीजे अब्दुल कलाम जी की प्रसिद्धि को देखते हुए सन 2002 में NDA की गठबंधन सरकार ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए उन्हें अपना एक मजबूत उम्मीदवार के तौर पर खड़ा किया, वहीं एपीजे की राष्ट्रपति उम्मीदवारी को विपक्ष ने बिना किसी विरोध के स्वीकार कर लिया। इसके बाद राष्ट्रपति के चुनाव में कलाम साहब जी ने अपने विरोधी लक्ष्मी सहगल को भारी वोटों से हराकर विजय प्राप्त की और फिर साल 2002 में देश के 11वें राष्ट्रपति के पद की शपथ ली।

इसी के साथ कलाम साहब देश के ऐसे पहले राष्ट्रपति बने जिनका राष्ट्रपति बनने से पहले राजनीति से कोई वास्ता नहीं था, इसके साथ ही वे देश के पहले ऐसे वैज्ञानिक थे, जो इस पद पर सुशोभित हुए, राष्ट्रपति के पद की कमान संभालने के साथ ही उन्होंने देश के सभी वैज्ञानिकों का सीना फक्र से चौड़ा कर दिया।

इसके साथ ही अब्दुल कलाम जी देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति के पद पर सुशोभित होने वाले ऐसे तीसरे राष्ट्रपति थे, जिन्हें इस पद पर बैठने से पहले भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ”भारत रत्न” से सम्मानित किया गया था। इससे पहले डॉ. जाकिर हुसैन और डॉ राधाकृष्णन को राष्ट्रपति बनने से पहले इस सम्मान से नवाजा जा चुका था।

वहीं राष्ट्रपति बनने के बाद भी वे अपने स्तर पर लोगों से मिलते रहते थे, आम लोगों के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले रहते थे। वहीं कई पत्रों का जबाव तो वे खुद अपने हाथों से लिखकर देते थे, इसलिए उन्हें ”जनता का राष्ट्रपति” (पीपुल्स प्रेसीडेंट) भी कहा गया। डॉ. अब्दुल कलाम जी के मुताबिक, राष्ट्रपति के रूप में उनके द्वारा लिए गए सबसे मुश्किल फैसलों में लाभ के कार्यालय के बिल पर हस्ताक्षर करना था।

यही नहीं साल 2001 में संसद हमलों में दोषी पाए गए कश्मीरी आतंकवादी अफजल गुरू समेत 21 में से 20 लोगों की दया याचिकाओं के भाग्य के फैसलों की निष्क्रियता के लिए अब्दुल कलाम जी को एक राष्ट्रपति रूप में काफी आलोचनाएं भी सहनी पड़ी थीं।

राष्ट्रपति पद छोड़ने का बाद का सफर –

भारत की ‘अग्नि’ मिसाइल को उड़ान देने वाले मशहूर वैज्ञानिक अब्दुल कलाम आजाद जी ने अपने 11वें राष्ट्रपति के तौर पर 5 साल तक अपनी सेवाएं देने के बाद भी वे अपने काम के प्रति उतने ही ईमानदारी और निष्ठा के साथ समर्पित रहे। राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा देने के बाद वे टीचिंग, रिसर्च, लेखन, सार्वजनिक सेवा जैसे कार्यों में अपनी पूरी मेहनत और ईमानदारी से जुट गए।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, शिलांग, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट इंदौर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट अहमदाबाद जैसे इंस्टीट्यूट से गेस्ट प्रोफेसर के तौर पर जुड़े रहे। अब्दुल कलाम  जी ने IIT हैदराबाद, अन्ना यूनिवर्सिटी एवं बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (BHU) में भी इंर्फोमेशन टेक्नोलॉजी का विषय पढ़ाया था।

इसके अलावा कलाम जी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलोर के फेलो, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी तिरुवनंतपुरम के वाइस चांसलर और चेन्नई की अन्ना यूनिवर्सिटी में एरोस्पेस इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर के तौर पर अपनी जिंदगी के आंखिरी पलों तक काम करते रहे।

अब्दुल कलाम जी हमेशा देश की प्रगित और विकास के बारे में सोचने वाले शख्सिसयत थे, जिन्होंने देश के युवाओं के भविष्य को बेहतर बनाने एवं भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने के उद्देश्य से उनके लिए ”व्हाट कैन आई गिव” पहल की भी शुरुआत की थी।

इसके साथ ही आपको बता दें कि देश के हर नागरिक के दिल में अपने लिए प्यार और सम्मान जगाने वाले कलाम जी को छात्रों से खास लगाव था। वहीं अब्दुल कलाम जी के इस खास लगाव को देखते हुए देखकर संयुक्त राष्ट्र ने उनके जन्मदिन को ‘विधार्थी दिवस’ ( World Students’ Day ) के रुप में मनाने का भी फैसला लिया है।

किताबें –

भारत के एक महान वैज्ञानिक, कुशल राजनैतिक और प्रख्यात टीचर होने के साथ-साथ अब्दुल कलाम जी एक महान लेखक भी थे, अब्दुल कलाम जी को शुरु से ही लिखने का शौक था, वहीं उनके द्धारा लिखी कुछ प्रसिद्ध किताबों के बारे में हम आपको यहां बता रहे हैं, जो कि इस प्रकार है –

  • ‘इंडिया 2020: अ विज़न फॉर द न्यू मिलेनियम’,
  • ‘इग्नाइटेड माइंडस: अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया’,
  • ‘विंग्स ऑफ़ फायर: ऐन ऑटोबायोग्राफी’,
  • ‘इंडोमिटेबल स्पिरिट’
  • ‘मिशन इंडिया’
  • एडवांटेज इंडिया
  • ”यू आर बोर्न टू ब्लॉसम”
  • ‘इन्सपायरिंग थोट्स’
  • ”माय जर्नी”
  • ”द ल्यूमिनस स्पार्क्स”
  • रेइगनिटेड

सम्मान और उपलब्धियां –

डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम आजाद जी द्धारा तकनीकी और विज्ञान में दिए गए उनके महत्वपूर्ण योगदान एवं समाज में उनके द्धारा किए गए महत्वपूर्ण कामों के लिए उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न समेत पदम भूषण, पदम विभूषण समेत कई बड़े पुरस्कारों से सम्म्मानित किया गया।

इसके साथ ही उनके सम्माम में दुनिया की 35 से भी ज्यादा यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा। अब्दुल कलाम जी को मिले पुरस्कारों की लिस्ट नीचे दी गई है –

अब्दुल कलाम जी को मिले पुरस्कारों की लिस्ट:

भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया।
भारत सरकार द्धारा पद्म विभूषण से नवाजा गया
भारत सरकार द्धारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया
IEEE होनोअरी मेंबरशिप (मानद सदस्यता)
इंदिरा गांधी पुरस्कार से नवाजा गया।
भारत सरकार द्धारा वीर सावरकार पुरस्कार
चेन्नई के अलवर रिसर्च सेंटर ने रामानुजन पुरस्कार से सम्मानित किया
संयुक्त राष्ट्र ने कलाम जी की जयंती को “विश्व छात्र दिवस”के रुप में मान्यता दी।

एपीजे अब्दुल कलाम जी का सरल स्वभाव एवं प्रेरक व्यक्तित्व भारत के मिसाइल मैन के नाम से पहचाने जाने वाले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आजाद जी ने अपने प्रेरक और प्रभावशाली व्यक्तित्व का प्रभाव हर भारतीय पर छोड़ा था। बहुमुखी प्रतिभा वाले कलाम साहब बेहद सौम्य एवं सरल स्वभाव वाले व्यक्ति थे, जो हर काम को बेहद बुद्दिमानी और संजीदगी के साथ उसके मुकाम तक पहुंचाते थे।

कलाम जी ने अपने जीवन में कठिन परिस्थितयों में पूरी हिम्मत और धैर्य के साथ कठोर संघर्षों का सामना किया और आगे बढ़ने का लक्ष्य लेकर वे ईमानदारी और निष्ठा के साथ आगे बढ़ते रहे और देश के एक मशूहर वैज्ञानिक और पहले गैरराजनैतिज्ञ राष्ट्रपति बनकर सभी के प्रेरणास्त्रोत बने।

देश में अग्नि मिसाइल की उडा़न भरने वाले कलाम जी के  महान विचार और प्रखर वाकशक्ति हर किसी को मंत्र-मुग्ध करती थी और नौ जवानों के दिल में कुछ नया करने का जोश भरती थी। उनकी दूरदर्शी सोच का अंदाजा उनके द्दारा लिखी गईं किताबों और उनके महान विचारों द्धारा लगाया जा सकता है।

कलाम जी का कहना था कि –

”सपने वो नहीं है जो आप सोते वक्त देखें, बल्कि सपने वो हैं जो आपको नींद नहीं आने दें” इसके अलावा उनके द्धारा दिए गए कई अन्य ऐसे अनमोल विचार हैं, जो युवाओं के अंदर उनकी जिंदगी में आगे बढ़ने का जज्बा पैदा करती हैं, और अपने लक्ष्य को पाने के लिए प्रेरित करते हैं –

महान विचार –

  • ”अगर आप अपने किसी प्रयास में FAIL हो जाएं तो फिर से कोशिश करना बिल्कुल भी न छोड़ें क्योंकि, FAIL का मतलब होता है – First Attempt in Learning.
  • अपनी पहली सफलता के बाद आराम करने के बारे में बिल्कुल भी न सोचें क्योंकि अगर आप दूसरे प्रयास में असफल होंगे, तो सब लोग आपसे यही कहेंगे कि पहली सफलता आपको किस्मत से मिली थी।
  • रचनात्मकता का मतलब एक ही चीज के बारे में अलग-अलग ढंग से सोचना है।
  • अगर तुम भी चाहते हो कि तुम सूरज की तरह चमको, तो इससे पहले सूरज की तरह जलो।
  • हमें अपनी जिंदगी में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए और ना ही समस्याओं को खुद को हराने देना चाहिए।
  • शिखर तक पहुँचने के लिए ताकत चाहिए होती है, चाहे वो माउन्ट एवरेस्ट का शिखर हो या आपके पेशे का।

मृत्यु –

भारत को एक परमाणु शक्ति संपन्ना राष्ट्र बनाने वाले अब्दुल कलाम जी को विद्यार्थियों के साथ अपना समय बिताना बेहद अच्छा लगता था। एक एक अध्यापक के रुप में हमेशा विद्यार्थियों की जिज्ञासा को शांत करने की कोशिश में रहते थे।

वहीं 25 जुलाई, सन् 2015 में कलाम जी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, शिलांग (IIM, शिलांग) में एक फंक्शन के दौरान लेक्चर दे रहे थे, तभी अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई, जिसके बाद उन्हें तुरंत शिलांग के हॉस्पिटल में एडमिट किया गया, लेकिन उनकी तबीयत में कोई सुधार नहीं आया और इसी दौरान उन्होंने अपनी जीवन की अंतिम सांस ली।

कलाम जी के शवयात्रा में अपने चहेते राजनेता के अंतिम दर्शन के लिए लाखों की तादाद में भीड़ उमड़ी। कलाम जी का अंतिम संस्कार रामेश्वर में उनके पैतृक गांव में किया गया। इस तरह भारत का यह महान शख्सियत हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह गया। हालांकि उनकी तमाम यादें आज भी हर भारतीय के दिल में जिंदा है।

कलाम जी जैसी महान शख्सियत का भारत देश में जन्म लेना भारत के लिए गौरव की बात है। वहीं कलाम जी का संघर्षपूर्ण जीवन और उनके महान विचार हर व्यक्ति को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। ज्ञानी पंडित की पूरी टीम की तरफ से भारत के इस महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी को भावपूर्ण श्रंद्धाजली ।।

25 thoughts on “ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जीवनी”

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Woow Nice biography of A P J Abdul Kalam I like kalam

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अब्दुल कलाम जी बहुत नम्र थे | छात्रों में वों जादा लोकप्रिय थे | इसलिये छात्रोंको प्रश्न पुछने का अवसर देते थे | बहुत अच्छा आर्टिकल है | धन्यवाद

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THIS ESSAY IS VERY INTERESTING. I GET ALL INFORMATION HERE ABOUT A. P. J. ABDUL KALAM JI. THANKS

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Very good biography of APJ Abdul Kalam sir, I want to details information about Agni missile.

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APJ Abdul Kalam Biography in Hindi

Dr. APJ Abdul Kalam Biography in Hindi: अब्दुल कलाम का जीवन परिचय (Essay) जीवनी

Missile Man के नाम से सुप्रसिद्ध Dr. APJ Abdul Kalam Biography in Hindi के इस विशेष लेख में हम ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन परिचय, बचपन, शिक्षा, वैज्ञानिक करियर, राष्ट्रपति जीवनी के बारे में विस्तार से बात करेंगे। अक्सर आपके स्कूल/कॉलेज में APJ Abdul Kalam Essay in Hindi लिखने को भी कहा जाता है, तो आप इस लेख को निबंध के तौर पर भी लिख सकते हैं।

विश्व के जाने-माने वैज्ञानिकों में माने जाने वाले डॉ. ए. पी. जे. कलाम का नाम विश्वभर में आदर के साथ लिया जाता है। डॉ. कलाम को भारतीय प्रक्षेपास्त्र के पितामह के रूप में भी जाना जाता है। प्रक्षेपास्त्र और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत का नाम विश्व मानचित्र पर अंकित कराने का श्रेय डॉ. कलाम को ही जाता है।

Table of Contents

APJ Abdul Kalam Biography in Hindi

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का जन्म दक्षिण भारत के तमिलनाडु के रामेश्वरम ज़िले के धनुषकोडि गाँव के एक मछुवारे परिवार में 15 अक्टूबर, 1931 को हुआ था। इनके पिता का नाम ज़ैनुलआबेदीन था। डॉ. कलाम का पूरा नाम अबुल पकीर ज़ैनुलआबेदीन अब्दुल कलाम है।

इनकी आरम्भिक शिक्षा रामनाथपुरम के सक्वार्ट्ज हाई स्कूल में हुई। विज्ञान में स्नातक की उपाधि तिरुची के सेंट जोसेफ कॉलेज से डॉ. कलाम ने प्राप्त की। 1954-57 में चेन्नई के मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोज़ी (MIT) से Aeronautical Engineering में इन्होंने डिप्लोमा प्राप्त किया।

1958 में DTD & P (Air) में बतौर वरिष्ठ सहायक वैज्ञानिक नियुक्त हुए और इसी वर्ष रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में वरिष्ठ सहायक वैज्ञानिक नियुक्त हुए। यहाँ रहकर ही उनके नेतृत्व में वैज्ञानिकों की टीम ने prototype hover craft का विकास किया।

ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन परिचय

डॉ. कलाम रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन 1962 में छोड़कर भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़ गए। यहाँ पर 1963 से 1982 तक इन्होंने विभिन्न पदों पर कार्य किया। इसके बाद वे Aerodynamics से जुड़े, फिर वे थुम्बा की सैटेलाइट प्रक्षेपण यान टीम के सदस्य बने और जल्द ही वे SLV के निदेशक बन गए। डॉ. अब्दुल कलाम SLV के तीन डिज़ाइन, उनके विकास तथा उनके चार परीक्षणों के प्रति उत्तरदायी रहे। इन योजना के तहत 1980 में सफलतापूर्वक रोहिणी सैटेलाइट का प्रक्षेपण किया गया।

उनके इस महत्वपूर्ण योगदान के लिए वर्ष 1981 में डॉ. कलाम को पद्म भूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया। सन् 1982 में वे एक बार फिर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन से जुड़े। इस बार वे यहाँ निदेशक पद पर आए। यहाँ आने के बाद उन्होंने Integrated Guided Missile Development Programme ( IGMDP ) को आगे बढ़ाया।

यह प्रोग्राम तत्कालीन समय का देश का सबसे सफल सैन्य अनुसंधान था। इस योजना के अंतर्गत दस वर्षों में पाँच महत्वाकांक्षी कार्यों को क्रियान्वित करने का लक्ष्य रखा गया था। इनमें नाग, आकाश, पृथ्वी, त्रिशूल और अग्नि जैसे प्रक्षेपास्त्रों का विकास करना शामिल है।

Missile Man Abdul Kalam Essay in Hindi

डॉ. कलाम को उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए समय-समय पर सम्मानित भी किया जाता रहा। इस क्रम में उन्हें भारतीय रक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य करने के लिए 25 नवम्बर, 1997 को देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

इसी तरह 1998 में उन्हें राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गाँधी अवार्ड से सम्मानित किया गया। भारत को रक्षा क्षेत्र में पहले से कहीं ज़्यादा शक्तिशाली देश बनाने का श्रेय डॉ. कलाम को ही जाता है। पोखरन में परमाणु परीक्षण की सफलता ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत अपने दम पर किसी भी क्षेत्र व किसी भी कार्य को करने में सक्षम है।

उनकी विज्ञान क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाओं के कारण उन्हें 25 नवम्बर, 1999 को भारत सरकार का वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त किया गया। वर्ष 2001 तक वह इस पद पर रहे। 25 जुलाई, 2002 को उन्हें भारत का बारहवाँ राष्ट्रपति चुन लिया गया।

डॉ. कलाम अविवाहित थे। उन्हें शास्त्रीय संगीत से विशेष लगाव था। वे वैज्ञानिक ही नहीं एक अच्छे कवि भी थे। डॉ. कलाम द्वारा लिखित दो पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें ‘ India 2020 ’ तथा ‘ Wings of Fire : An Autobiography of APJ Abdul Kalam’ शमिल हैं।

Dr. APJ Abdul Kalam Wikipedia Information in Hindi

डॉ. कलाम के अथक प्रयासों से ही आज हमारा देश प्रक्षेपास्त्र के क्षेत्र में विश्व के अन्य विकसित देशों की बराबरी कर रहा है। भारतीयों के लिए यह बड़े गर्व की बात है कि हमारा देश वर्तमान में अंतरिक्ष और प्रक्षेपास्त्र के क्षेत्र में लगातार नित नई ऊँचाइयाँ छू रहा है। डॉ. अब्दुल कलाम दिखने व व्यवहार में साधारण और धार्मिक प्रवृत्ति के थे। सच्चे मुस्लिम होने के नाते वे नियमित रूप से नमाज़ अदा करते थे। साथ ही वे राम भक्त भी थे।

अलग-अलग प्रणालियों को एकीकृत रूप देने में डॉ. कलाम का कोई सानी नहीं है। वह अलग-अलग प्रणालियों को अपना विजन देकर एकीकृत कर हमेशा कुछ नया बनाने की क्षमता रखते थे। डॉ. कलाम में चीजों को नए तरह से इस्तेमाल करने की क्षमता भी ग़ज़ब की थी। यही कारण है कि डॉ. कलाम ने अंतरिक्ष और सामरिक प्रौद्योगिकी का उपयोग कर नए उपकरणों का निर्माण किया।

APJ Abdul Kalam Biography in Hindi लेख यहीं तक।  युवाओं के लिए उन्होंने कहा था कि “सपने वे नहीं होते जो हम सोते हुए देखते हैं। सपने वे होते हैं जो हमें सोने नहीं देते।” Dreams are not what you see in your sleep, dreams are things which do not let you sleep.

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It's Hindi

बछेंद्री पाल.

जन्म : 24 मई , 1954 (उत्तरकाशी , उत्तराखंड)

वर्तमान : ‘ टाटा स्टील ‘ कंपनी में पर्वतारोहण तथा अन्य साहसिक अभियानों की प्रशिक्षक

कार्यक्षेत्र : माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला

भारत की बछेंद्री पाल संसार की सबसे ऊंची चोटी ‘माउंट एवरेस्ट’ पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला हैं. बछेंद्री पाल संसार के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर ‘माउंट एवरेस्ट’ की ऊंचाई को छूने वाली दुनिया की 5वीं महिला पर्वतारोही हैं. इन्होंने यह कारनामा 23 मई, 1984 के दिन 1 बजकर 7 मिनट पर किया था.

भारतीय अभियान दल के सदस्य के रूप में माउंट एवरेस्ट पर आरोहण के कुछ ही समय बाद इन्होंने इस शिखर पर चढ़ाई करने वाली महिलाओं की एक टीम के अभियान का सफल नेतृत्व किया. इसी प्रकार वर्ष 1994 में बछेंद्री ने महिलाओं के साथ गंगा नदी में हरिद्वार से कोलकाता तक लगभग 2,500 किमी लंबे नौका अभियान का नेतृत्व किया. हिमालय के गलियारे में भूटान, नेपाल, लेह और सियाचिन ग्लेशियर से होते हुए कराकोरम पर्वत-श्रृंखला पर समाप्त होने वाला लगभग 4,000 किमी लंबा अभियान भी इ­नके द्वारा इस दुर्गम क्षेत्र में ‘प्रथम महिला अभियान’ था.

प्रारम्भिक जीवन

बछेंद्री पाल का जन्म 24 मई, 1954 को वर्तमान उत्तराखंड (तत्कालीन उत्तर प्रदेश) राज्य के उत्तरकाशी के पहाड़ों की गोद में हुआ था. उत्तराखंड राज्य के एक ग्रामीण परिवार में जन्मी बछेंद्री पाल ने स्नातक की शिक्षा पूर्ण करने के बाद शिक्षक की नौकरी प्राप्त करने के लिए बी.एड. का प्रशिक्षण प्राप्त किया. इन्हें स्कूल में शिक्षिका बनने के बजाय पेशेवर पर्वतारोही का पेशा अपनाने पर परिवार और रिश्तेदारों के तीव्र विरोध का सामना भी करना पड़ा था.

मेधावी और प्रतिभाशाली होने के बावजूद इनको कोई अच्छा रोज़गार नहीं मिला. जो मिला वह भी  अस्थायी, जूनियर स्तर का था और वेतन भी बहुत कम था. इससे ये काफी निराशा हुईं और इन्होंने अस्थाई नौकरी करने के बजाय ‘नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग’ का कोर्स करने के लिये आवेदन कर दिया. यहां से इनके के जीवन को नई दिशा मिली. वर्ष 1982 में एडवांस कैम्प के दौरान इन्होंने गंगोत्री (6,672 मीटर ऊंचाई) और रूदुगैरा (5,819 मीटर ऊंचाई) की चढ़ाई को पूरा किया. इस कैम्प में बछेंद्री को ब्रिगेडियर ज्ञान सिंह ने बतौर इंस्ट्रक्टर पहली नौकरी दी थी.

पर्वतारोहण का पहला मौक़ा

बछेंद्री के लिए पर्वतारोहण का पहला मौक़ा 12 साल की उम्र में आया, जब उन्होंने अपने स्कूल की सहपाठियों के साथ 400 मीटर की चढ़ाई की. यह चढ़ाई इन्होंने किसी योजनाबद्ध तरीके से नहीं की थी. दरअसल वे स्कूल पिकनिक पर गई हुए थीं और उसी दौरान पहाड़ पर चढ़ती गईं और शिखर तक पहुँचते-पहुँचते शाम हो गई. जब लौटने का खयाल आया तो पता चला की उतरना सम्भव नहीं है. ज़ाहिर है, रातभर ठहरने के लिये उन के पास पूरा इंतज़ाम नहीं था. बगैर भोजन और टैंट के इन्होंने खुले आसमान के नीचे रात गुजार दी.

एवरेस्ट अभियान

वर्ष 1984 में भारत का ‘चौथा एवरेस्ट अभियान’ शुरू हुआ. दुनिया में अब तक सिर्फ 4 महिलाएं ही  एवरेस्ट की चढ़ाई में कामयाब हो पाई थीं. इस अभियान में जो टीम बनाई गई उसमें बछेंद्री के साथ  7 महिलाओं और 11 पुरुषों को भी शामिल किया गया था. इस टीम ने 23 मई, 1984 के दिन 1 बजकर 7 मिनट पर 29,028 फुट (8,848 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित ‘सागरमाथा’ (एवरेस्ट) पर भारत का झंडा लहराया. इस के साथ ही ये एवरेस्ट पर सफलता पूर्वक क़दम रखने वाली दुनिया की 5वीं महिला बनीं.

पर्वतारोहण के क्षेत्र में इनका योगदान

बछेंद्री पाल ने वर्ष 1984 के एवरेस्ट पर्वतारोहण अभियान में पुरुष पर्वतारोहियों के साथ शामिल होकर एवं सफलता पूर्वक संसार की सबसे ऊंची चोटी ‘माउंट एवरेस्ट’ पर पहुंचकर भारत का राष्ट्रीय ध्वज लहराया और एवरेस्ट पर विजय पाई. उनकी इस सफलता ने आगे भारत की अन्य महिलाओं को भी पर्वतारोहण जैसे साहसिक अभियान में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया. ये भारत की पहली महिला एवरेस्ट विजेता हैं तथा देश-विदेश की महिला पर्वतारोहियों के लिए प्रेरणा की श्रोत भी हैं.

बछेंद्री पाल वर्तमान में ‘टाटा स्टील’ इस्पात कंपनी में कार्यरत हैं, जहाँ ये चुने हुए लोगों को पर्वतारोहण के साथ अन्य रोमांचक अभियानों का प्रशिक्षण देने का कार्य कर रही हैं.

आपदा राहत एवं समाज – सेवा के क्षेत्र में योगदान  

‘माउंट एवरेस्ट’ पर फ़तह हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बछेंद्री पाल की शख्सियत का एक दूसरा पहलू भी हमें जून, 2013 में उत्तराखंड की प्राकृतिक आपदा के दौरान देखने को मिला. जब इन्होंने वहां के लोगों को बचाने तथा राहत पहुंचाने में सशक्त भूमिका निभाई. इस आपदा में 4500 से ज्यादा लोग मारे गए, सड़कें ध्वस्त हो गईं, गांव के गांव मुख्य धारा से कट गए थे. इस संकट की घडी में 59 वर्षीय बछेंद्री पाल ने अपनी टीम के साथ, ट्रैकिंग के अपने हुनर और पहाड़ी इलाकों की गहन जानकारी का उपयोग करते हुए लोगों की जान बचाने और मुख्य धारा से कट चुके दूर-दराज के इलाकों तक राहत सामग्री पहुंचाने में अपना अमूल्य योगदान दिया.

बछेंद्री पाल ने इससे पहले भी कई आपदाओं में राहत और बचाव कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है. वर्ष 2000 में पहली बार राहत कार्य के लिए ये गुजरात गई थी. जहां आए भयंकर भूकंप से पीड़ित लोगों को अपने सक्षम वॉलंटियर पर्वतारोहियों की एक टीम की मदद से लगभग डेढ़ महीने तक अपनी सेवाएं दी और ज़रूरतमंद लोगों तक राहत पहुंचाई.

वर्ष 2006 में उड़ीसा में आए भयंकर चक्रवात ने बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान पहुचाया था. वहां पर इन्होंने अपनी टीम के साथ सेवाएं दी और ज़रूरतमंद लोगों तक राहत पहुंचाई, लोगों के दाह संस्कार में भी मदद किया.

पुरस्कार एवं सम्मान  

भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन द्वारा पर्वतारोहण में उत्कृष्टता के लिए वर्ष 1984 में स्वर्ण पदक प्रदान किया गया.

तत्कालीन केंद्र सरकार ने इन्हें वर्ष 1984 में ही अपने प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया.

उत्तर प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा इन्हें वर्ष 1985 में स्वर्ण पदक से नवाजा गया.

भारत सरकार ने इन्हें वर्ष 1986 में अपने प्रतिष्ठित खेल पुरस्कार ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया.

इन्हें वर्ष 1986 में ‘कोलकाता लेडीज स्टडी ग्रुप अवार्ड’ से भी नवाजा गया.

इन्हें वर्ष 1990 में ‘गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में भी सूचीबद्ध किया गया.

भारत सरकार के द्वारा इन्हें वर्ष 1994 में ‘नेशनल एडवेंचर अवार्ड’ प्रदान किया गया.

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 1995 में इनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए ‘यश भारती’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

इन्हें वर्ष 1997 में हेमवती नन्दन बहुगुणा विश्वविद्यालय, गढ़वाल द्वारा पी-एचडी की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया.

मध्य प्रदेश सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने वर्ष 2013-14 में इन्हें पहला ‘वीरांगना लक्ष्मीबाई’ राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया.

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Indian Scientist Who Changed The World – महान भारतीय वैज्ञानिक

biography hindi essay

भारत एक अद्भुत् इतिहास वाला देश है और हमारे देश ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आविष्कारों द्वारा विश्व में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विज्ञान हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है और हमारी जीवनशैली में प्राचीन कल से ही विज्ञान की महत्ता रही है। भारत के ऋषि मुनियों द्वारा बताई गयी कई बातें आज विज्ञान भी स्वीकार कर रहा है|

भारत में आर्यभट्ट जैसे महान महान गणितज्ञ और वैज्ञानिक ने जन्म लिया हैं जिन्होंने शून्य का अविष्कार कर विश्व को पहली बार संख्या के ज्ञान से परिचित करवाया| आइये हम इस लेख द्वारा प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिकों और उनके अद्भुत योगदान के बारे में जानते हैं:

Great Indian Scientist and Thier Inventions

महान भारतीय वैज्ञानिक और उनके अविष्कार , c. v. raman –  चंद्रशेखर वेंकट रमन.

सी.वी. रमन का जन्म 7 नवंबर, 1888 को तिरुचिरापल्ली में हुआ| रमन कम उम्र में ही विशाखापत्तनम शहर में आ गए और 11 साल की उम्र में अपनी मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की| उन्होंने अपनी एफ.ए. परीक्षा (आज के इंटरमीडिएट परीक्षा, के बराबर) को मात्रा 13 साल की उम्र में छात्रवृत्ति के साथ उत्तीर्ण कर लिया था।

वह पहले एशियाई और पहली गैर-श्वेत व्यक्ति थे जिन्हें विज्ञान के किसी भी क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने के लिए चुना गया था। 1954 में, इन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया। उन्हें उनके अविष्कार “रमन प्रभाव” के लिए 1930 में नोबेल पुरस्कार जीता था।

रमन ने संगीत वाद्ययंत्र की ध्वनिकी पर भी काम किया। वे तबला और मृदंगम जैसे भारतीय वाद्यों की ध्वनि की हार्मोनिक प्रकृति को जांच करने वाले पहले व्यक्ति थे।

रमन का मानना था की हमे प्रश्न पूछने में कोई हिचक या भय नहीं होना चाहिए वे कहते थे

“Ask the right questions, and nature will open the doors to her secrets”

Homi Jehangir Bhabha – होमी जहाँगीर भाभा

मुंबई में अक्टूबर 1909 को जन्मे होमी जहांगीर भाभा ने क्वांटम थ्योरी (Quantum Theory) में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भाभा भारतीय परमाणु ऊर्जा के पिता के रूप में भी विख्यात हुए हैं। इसके अलावा, उन्हें अल्प यूरेनियम भंडार के बजाय देश के विशाल थोरियम भंडार से ऊर्जा बनाने पर ध्यान केंद्रित करने की रणनीति तैयार करने का श्रेय जाता है।

भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष बनने वाले वे पहले व्यक्ति थे। उन्होंने भारत में, भाभा परमाणु अनुसंधान संस्थान (Bhabha Atomic Research Institute) और टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (Tata Institute of Fundamental Research) जैसे वैज्ञानिक संस्थानों की स्थापना करके देश की वैज्ञानिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

एम विश्वेस्वर्या – M. Visvesvaraya

1955 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित एम विस्वेस्वर्या, भारतीय इंजीनियर, विद्वान और एक कुशल राजनेता थे। किंग जॉर्ज V ने जनता की भलाई के लिए उनके योगदान के लिए उन्हें ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य के एक नाइट कमांडर (KCIE के रूप में नाइट) की उपाधि दी थी। 1918 से 1912 के दौरान वे मैसूर के दीवान भी थे।

उनके दो आविष्कार प्रसिद्ध हुए हैं -‘Automatic Sluice Gates’ और Block Irrigation System’, इन्हें अभी भी इंजीनियरिंग के क्षेत्र में चमत्कार माना जाता है। चूंकि रिवर बेड्स महंगा थे, तो उन्होंने 1895 में ‘कलेक्टर’ वेल्स के माध्यम से पानी फिल्टर करने का एक कारगर तरीका खोज लिया जो शायद ही कभी दुनिया में कहीं  देखा गया था।

उन्होंने हैदराबाद के शहर के लिए एक बाढ़ सुरक्षा प्रणाली तैयार की जिससे उनको विशिष्ट सम्मान मिला। उनके जन्म दिवस पर 15 सितंबर को उनकी स्मृति में भारत में अभियंता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

Srinivasa Ramanujan – श्रीनिवास रामानुजन

श्रीनिवास रामानुजन ने गणित में लगभग कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं लिया था लेकिन उन्होंने गणितीय विश्लेषण, संख्या सिद्धांत और अनंत श्रृंखला, के क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया। रामानुजन ने शुरू में अपने ही गणितीय शोध विकसित की और इसे जल्द ही भारतीय गणितज्ञों द्वारा मान्यता दी गई थी।

अपने अल्प जीवन काल के दौरान, रामानुजन ने स्वतंत्र रूप से लगभग 3,900 परिणाम प्राप्त किये, उनके लगभग सभी दावे सही सिद्ध हुए है। रामानुजन ने अपने मूल और अत्यधिक अपरंपरागत परिणाम जैसे रामानुज प्राइम और रामानुजन थीटा फंक्शन, से आगे के अनुसंधान को प्रेरित किया है।

रामानुजन के स्कूल के प्रधानाध्यापक, कृष्णास्वामी अय्यर के अनुसार रामानुज एक ऐसा उत्कृष्ट छात्र था जो अधिकतम से भी अधिक अंक प्राप्त करने का हकदार था। रामानुज का मानना था:

“An equation means nothing to me unless it expresses a thought of god.”

रेवेन्यू विभाग में नौकरी की इच्छा लिए रामानुज, रामास्वामी एयर से मिले| रामानुज ने उन्हें अपनी गणित की नोटबुक दिखाई, एयर ने रामानुज को याद करते हुए कहा है कि –

“मैं रामानुजन के गणितीय परिणामों से इतना प्रभावित था कि रेवेन्यू डिपार्टमेंट के निचले पद पर रामानुजन को नियुक्त कर उनकी प्रतिभा का अपमान करना नहीं चाहता था “

“I was struck by the extraordinary mathematical results contained in it (the notebooks). I had no mind to smother his genius by an appointment in the lowest rungs of the revenue department”.

Subrahmanyan Chandrasekhar – एस . चंद्रशेखर

भारतीय मूल के अमेरिकी खगोल वैज्ञानिक, प्रोफेसर चंद्रशेखर को संरचना और सितारों के विकास की महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं पर अपने अध्ययन के लिए 1983 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया| उन्होंने विलियम ए. फ्लावर के साथ इसे साझा किया था।

चंद्रशेखर ने गणित के माध्यम से सितारों विकास के अध्ययन किये, जिनके माध्यम से बड़े पैमाने पर सितारों और ब्लैक होल के वर्तमान सैद्धांतिक मॉडल बनाये गए। चंद्रशेखर सीमा का नाम उनके नाम पर ही रखा गया है।

Jagadish Chandra Bose – जगदीश चंद्र बोस:

30 नवंबर, 1858 को बिक्रमपुर, पश्चिम बंगाल में जन्मे जगदीश चन्द्र बोस बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे एक बहुश्रुत (Polymath), भौतिक विज्ञानी (physicist), जीवविज्ञानी(biologist), वनस्पतिशास्त्री (botanist) और पुरातत्त्ववेत्ता(archaeologist) थे। इन्होंने भारत में  रेडियो और माइक्रोवेव प्रकाशिकी की नींव रखी| उन्होंने पौधों के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया और उन्होंने भारतीय उप-महाद्वीप में प्रायोगिक विज्ञान की शुरुआत की।

वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने पहली बार रेडियो संकेतों का पता लगाने के लिए Semiconductor Junctions उपयोग कर वायरलेस कम्युनिकेशन को प्रदर्शित किया। वे ओपन टेक्नोलॉजी के पिता के रूप में जाने गए हैं क्योंकि उन्होंने अपने आविष्कार और कार्यों को स्वतंत्र रूप से दूसरों के लिए उपलब्ध कराया। अपने काम के लिए पेटेंट के प्रति उनकी अनिच्छा विश्वप्रसिद्ध है।

उनके प्रसिद्ध अविष्कारों में से एक क्रेस्कोग्राफ (crescograph) है जिसके माध्यम से विभिन्न उत्तेजनाओं के प्रति पौधों की प्रतिक्रिया को मापा और यह धारणा स्थापित कि पौधे दर्द महसूस कर सकते हैं और स्नेह को समझ सकते हैं।

Vikram Sarabhai – विक्रम साराभाई

विक्रम साराभाई भारत के प्रसिद्ध साराभाई परिवार से थे जो उन प्रमुख उद्योगपतियों में से थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाई थी। वे एक भारतीय वैज्ञानिक और प्रर्वतक थे तथा व्यापक रूप से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक के रूप में माने जाते हैं।

विक्रम  ए. साराभाई  कम्युनिटी  विज्ञान केंद्र (VASCSC), जिसकी संस्थापना 1960 में साराभाई द्वारा कि गयी थी जो कि विज्ञानं तथा गणित शिक्षा का प्रसार करने के प्रति कार्यरत है। हर किसी को इसरो की स्थापना में उनकी प्राथमिक भूमिका के बारे में पता है। परंतु, शायद हम में से कई लोग यह नहीं जानते है कि उन्होंने कई अन्य भारतीय संस्थानों कि स्थापना में भूमिका निभाई है, सबसे विशेष रूप से भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद (IIMA की स्थापना) और विकास के लिए नेहरू फाउंडेशन।

विक्रम साराभाई को राष्ट्रीय सम्मान पद्म भूषण से 1966 में और 1972 में पद्म विभूषण (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया।

Har Gobind Khorana –  हर गोबिंद खुराना

हर गोबिंद खुराना भारतीय मूल के एक बायोकेमिस्ट थे जिन्होने मार्शल डब्ल्यू नीरेनबेर्ग और रॉबर्ट डब्ल्यू होली के साथ फिजियोलॉजी में अपने अनुसंधान के लिए 1968 में नोबेल पुरस्कार मिला था।

उन्हें आनुवंशिक कोड की व्याख्या पर अपने काम के लिए उसी वर्ष में कोलंबिया विश्वविद्यालय से लुइसा सकल होर्वीत्ज़ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

Salim Ali – सलीम अली :

सलीम अली एक भारतीय पक्षी विज्ञानी और प्रकृतिवादी थे जो “भारत के बर्डमैन” के रूप लोकप्रिय हुए| सलीम अली पहले भारतीयों में से एक थे जिन्होंनेव्यवस्थित पक्षी सर्वेक्षण किये और कई किताबें लिखी|

बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के लिए अपने व्यक्तिगत प्रभाव का इस्तेमाल किया, और संगठन के लिए सरकार का समर्थन जुटाने में सक्षम रहे तथा भरतपुर पक्षी अभयारण्य बनवाया। उन्हें 1958 में पद्मभूषण और 1976 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

APJ Abdul Kalam – ए . पी . जे . अब्दुल कलाम :

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम एक साधारण व्यक्तित्व वाले आसाधारण व्यक्ति थे। वे 2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति रहे। कलाम का जन्म रामेश्वरम, तमिलनाडु में एक माध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने भौतिकी और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया।

कलाम ने भारतीय सेना के लिए एक छोटी सी हेलीकाप्टर डिजाइन द्वारा अपना करियर शुरू किया और बाद में उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिनके कारण उन्हें मिसाइल मैन के रूप जाना जाता हैं|

18 जुलाई 1980 को ए पी जे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा भारत के प्रथम स्वदेशी प्रक्षेपण यान एसएलवी -3 का शुभारम्भ किया गया  एसएलवी -3 का प्रक्षेपण, भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर था।

अब्दुल कलाम के विनम्र स्वभाव और अद्भुत व्यक्तित्व के कारण आज भी वे करोड़ों भारतीयों के दिलों में रहते हैं|

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आरती साहा की जीवनी – Arati Saha Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको आरती साहा की जीवनी – Arati Saha Biography Hindi के बारे में बताएंगे।

आरती साहा की जीवनी – Arati Saha Biography Hindi

Arati Saha 1959 में भारत तथा एशिया की पहली महिला इंग्लिश चैनल पार करने वाली प्रसिद्ध तैराक थीं।

आरती  साहा भारत की सबसे लंबी दूरी तय करने वाली एक तैराक है।

इसके अलावा वे एक भारतीय महिला खिलाड़ी भी थी।

और आरती साहा को पदम श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था ।

जन्म – आरती साहा की जीवनी

आरती साहा का जन्म 24 सितम्बर, 1940 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुआ था।

उनके पिता का नाम पंचुगोपाल साहा था। वे एक साधारण बंगाली हिन्दू परिवार से सम्बंध रखती था।

उनका पूरा नाम आरती साहा गुप्ता था ।

आरती अपने पिता की तीन संतानों में दूसरी और दो बहनों में बड़ी थीं।

उनके पिता सशस्त्र बल में एक साधारण कर्मचारी थे।

जब आरती ढाई साल की थीं, तभी उनकी माता का देहान्त हो गया।

उनके बड़े भाई छोटी बहन भारती को मामा के यहाँ रखा गया, जबकि आरती अपनी दादी के पास रहीं।

आरती साहा के पति का नाम डॉ अरुण कुमार है।

1959 में आरती ने डॉ अरुण कुमार से शादी की और इनकी एक संतान है जिसका नाम अर्चना है।

जब वह चार वर्ष की थी, तब वह अपने चाचा के साथ को चंपताला घाट पर जाती और वही उन्होंने तैरना सीख लीया था। उनकी रूचि देखते हुए उनके चाचा ने उन्हें Hatkhola स्विमिंग क्लब में भर्ती किया।

1946 में, पांच वर्ष की आयु में, शैलेंद्र मेमोरियल तैराकी प्रतियोगिता में 110 स्वर्ण गगन के फ्रीस्टाइल में उन्होंने स्वर्ण जीता। यह उनके स्विमिंग करियर की शुरुआत थी।

आरती ने इंटरमीडिएट की पढाई सिटी कॉलेज से पूरी की ।

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करियर – आरती साहा की जीवनी

  • कलकत्ता,पश्चिम बंगाल की मूल निवासी आरती ने चार वर्ष की उम्र से ही तैराकी शुरु कर दी थी। सचिन नाग ने उनकी इस प्रतिभा को पहचाना और उसे तराशने का कार्य शुरु किया। 1949 में आरती ने अखिल भारतीय रिकार्ड सहित राज्यस्तरीय तैराकी प्रतियोगिताओं को जीता। उन्होंने 1952 में हेलसिंकी ओलंपिक में भी भाग लिया।
  • भारतीय पुरुष तैराक मिहिर सेन से प्रेरित होकर उन्होंने इंग्लिश चैनल पार करने की कोशिश की और 29 सितम्बर 1959 को वे एशिया से ऐसा करने वाली प्रथम महिला तैराक बन गईं। उन्होंने 42 मील की  दूरी 16 घंटे 20 मिनट में तैय की।
  • इंग्लैंड के तट पर पहुंचने पर, उन्होंने भारतीय ध्वज फहराया विजयालक्ष्मी पंडित उसे बधाई देने वाले पहले व्यक्ति थे। जवाहर लाल नेहरू और कई प्रतिष्ठित लोगों ने व्यक्तिगत तौर पर उन्हें बधाई दी और 30 सितंबर को ऑल इंडिया रेडियो ने आरती साहा की उपलब्धि की घोषणा की।
  • आरती साहा को 1960 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
  • 1998 में भारतीय डाक विभाग द्वारा कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल करने वाली भारतीय महिलाओं की स्मृति में जारी डाक टिकटों के समूह में आरती शाहा पर भी एक टिकट जारी किया गया था।

मृत्यु – आरती साहा की जीवनी

आरती साहा को पीलिया   होने के कारण 23 अगस्त 1994 को उनकी मृत्यु हो गई थी ।

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डॉ भीमराव अम्बेडकर पर निबंध (Bhimrao Ambedkar Essay in Hindi)

डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर को हमारे देश में एक महान व्यक्तित्व और नायक के रुप में माना जाता है तथा वह लाखों लोगों के लिए वो प्रेरणा स्रोत भी है। बचपन में छुआछूत का शिकार होने के कारण उनके जीवन की धारा पूरी तरह से परिवर्तित हो गयी। जिससे उनहोंने अपने आपको उस समय के उच्चतम शिक्षित भारतीय नागरिक बनने के लिए प्रेरित किया और भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना अहम योगदान दिया। भारत के संविधान को आकार देने और के लिए डॉ भीमराव अम्बेडकर का योगदान सम्मानजनक है। उन्होंने पिछड़े वर्गों के लोगों को न्याय, समानता और अधिकार दिलाने के लिए अपने जीवन को देश के प्रति समर्पित कर दिया।

डॉ भीमराव अंबेडकर पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Bhimrao Ambedkar in Hindi, Bhimrao Ambedkar par Nibandh Hindi mein)

निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

डॉ भीमराव अम्बेडकर एक महान देशभक्त , न्याय के पुजारी , शिक्षाविद और दलितों के मसीहा थे। भारत के संविधान के निर्माता के रूप में देश भर में वो प्रसिद्ध है।

डॉ भीमराव अम्बेडकर जी का प्रारंभिक जीवन शिक्षाऔर संघर्ष

अम्बेडकर का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा संघर्षपूर्ण रहा , उन्हें छुआछूत , ऊंच नीच आदि का बचपन से ही सामना करना पड़ा।उन्हें अपने ही सहपाठियों और समाज के तिरस्कार का सामना करना पड़ा। बड़ोदा के राजा द्वारा छात्रवृत्ति की सहायता मिलने पर उन्होंने विदेश जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त की और एक महान वकील बनकर भारत लौटे।

डॉ भीमराव अम्बेडकर का दलित वर्ग के लिए संघर्ष और योगदान

बाबासाहेब अम्बेडकर जी का पूरा ध्यान मुख्य रूप से दलित और अन्य निचली जातियों और तबको के सामाजिक और राजनीतिक अधिकारों को प्राप्त कराने में था। भारत की आजादी के बाद वे दलित वर्ग के नेता और सामाजिक रुप से अछूत माने जाने वालो के प्रतिनिधि बने।

डॉ बी.आर. अम्बेडकर का बौद्ध धर्म में धर्मांतरण

1956 में डॉ अम्बेडकर ने बौद्ध धर्म को अपना लिया। उन्होंने कहा की जब तक हिन्दू धर्म में ऊंच नीच का भाव रहेगा तब तक यह धर्म विकास नहीं कर सकता।डॉ बाबासाहेब अंमबेडकर के अनुसार, बौद्ध धर्म के द्वारा मनुष्य अपनी आंतरिक क्षमता को प्रशिक्षित करके, उसे सही कार्यो में लगा सकता है। उनका दृढ़ विश्वास इस बात पर आधारित था, कि ये धार्मिक परिवर्तन देश के तथाकथित ‘निचले वर्ग’ की सामाजिक स्थिति में सुधार करने में सहायता प्रदान करेंगे।

डॉ भीमराव अम्बेडकर जी के योगदान के लिए भारत देश और खासकर दलित समाज सदा ही उनका ऋणी रहेगा।उनका जीवन हमें संघर्ष करने की प्रेरणा देता है और सदा ही हमारामार्गदर्शन करता रहेगा।

निबंध – 2 (400 शब्द)

डॉ बी. आर. अम्बेडकर एक विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता, अर्थशास्त्री, कानूनविद, राजनेता और सामाज सुधारक थे। उन्होंने दलितों और निचली जातियों के अधिकारों के लिए छुआछूत और जाति भेदभाव जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ संर्घष किया है। उन्होंने भारत के संविधान को तैयार करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री और भारतीय संविधान के निर्माताओ में से एक थे।

महाड़ सत्याग्रह में डॉ बी. आर. अम्बेडकर की भूमिका

भारतीय जाति व्यवस्था में, अछूतो को हिंदुओं से अलग कर दिया गया था। जिस जल का उपयोग सवर्ण जाति के हिंदुओं द्वारा किया जाता था। उस सार्वजनिक जल स्रोत का उपयोग करने के लिए दलितो पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। महाड़ सत्याग्रह की शुरुआत डॉ भीमराव अम्बेडकर के नेतृत्व में 20 मार्च 1927 को किया गया था।

जिसका उद्देश्य अछूतो को महाड़, महाराष्ट्र के सार्वजनिक तालाब के पानी का उपयोग करने की अनुमति दिलाना था। बाबा साहब अम्बेडकर ने सार्वजनिक स्थानों पर पानी का उपयोग करने के लिए, अछूतो के अधिकारों के लिए सत्याग्रह शुरू किया। उन्होंने आंदोलन के लिए महाड के चवदार तालाब का चयन किया। उनके इस सत्याग्रह में हजारों की संख्या में दलित शामिल हुए।

डॉ बी.आर. अम्बेडकर ने अपने कार्यो से हिंदू जाति व्यवस्था के खिलाफ एक शक्तिशाली प्रहार किया। उन्होंने कहा कि चावदार तालाब का सत्याग्रह केवल पानी के लिए नहीं था, बल्कि इसका मूल उद्देश्य तो समानता के मानदंडों को स्थापित करना था। उन्होंने सत्याग्रह के दौरान दलित महिलाओं का भी उल्लेख किया और उनसे सभी पूराने रीति-रिवाजों को त्यागने और उच्च जाति की भारतीय महिलाओं के जैसे साड़ी पहनने के लिए आग्रह किया। महाड में अम्बेडकर जी के भाषण के बाद, दलित महिलाएं उच्च वर्ग की महिलाओं के साड़ी पहनने के तरिको से प्रभावित हुई, वहीं इंदिरा बाई चित्रे और लक्ष्मीबाई तपनीस जैसी उच्च जाति की महिलाओं ने उन दलित महिलाओं को उच्च जाति की महिलाओं की तरह साड़ी पहनने में मदद की।

संकट का माहौल तब छा गया जब यह अफवाह फैल गयी कि अछूत लोग विश्वेश्वर मंदिर में उसे प्रदूषित करने के लिए प्रवेश कर रहे हैं। जिससे वहाँ हिंसा भड़क उठी और उच्च जाति के लोगों द्वारा अछूतों को मारा गया, जिसके कारण दंगे और अधिक बढ़ गये। सवर्ण हिंदुओं ने दलितों द्वारा छुए गये तालाब के पानी का शुद्धिकरण कराने के लिए एक पूजा भी करवायी।

25 दिसंबर 1927 को महाड में बाबासाहेब अम्बेडकर जी द्वारा दूसरा सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया गया। हालांकि, हिंदुओं का कहना था कि तालाब उनकी निजी संपत्ति है, इसीलिए उन्होंने बाबासाहेब के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया, मामला उप-न्याय का होने के कारण सत्याग्रह आंदोलन ज्यादा दिन तक जारी नहीं रहा। हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिसंबर 1937 में यह फैसला सुना दिया कि अस्पृश्यों को भी तालाब के पानी को उपयोग करने का पूरा अधिकार है।

इस प्रकार, बाबासाहेब अम्बेडकर हमेशा अस्पृश्यों और अन्य निचली जातियों की समानता के लिए लड़े और सफलता प्राप्त की। वे एक सामाजिक कार्यकर्ता थे, उन्होंने दलित समुदायों के लिए समानता और न्याय की मांग की थी।

Essay on Bhimrao Ambedkar in Hindi

निबंध – 3 (500 शब्द)

भीमराव अम्बेडकर को बाबासाहेब के नाम से भी जाना जाता है। वे भारतीय अर्थशास्त्री, न्यायवादी, राजनेता, लेखक, दार्शनिक और सामाज सुधारक थे। वे राष्ट्र पिता के रूप में भी लोकप्रिय है। जाति प्रतिबंधों और अस्पृश्यता जैसे सामाजिक बुराइयों को खत्म करने में उनका प्रयास उल्लेखनीय रहा।

वे अपने पूरे जीवन में सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों और दलितों के अधिकारों के लिए लड़े। उन्हें जवाहरलाल नेहरू जी की कैबिनेट में भारत के पहले कानून मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। 1990 में, अम्बेडकर जी के मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

डॉ भीमराव अम्बेडकर जी का प्रारंभिक जीवन

भीमराव अम्बेडकर जी, भीमबाई के पुत्र थे और उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू सेना छावनी, केंद्रीय प्रांत सांसद महाराष्ट्र में हुआ था। उनके पिता भारतीय सेना में एक सूबेदार थे। 1894 में उनके पिता के सेवा-निवृत्ति के बाद वो अपने पुरे परिवार के साथ सातारा चले गए। चार साल बाद, अम्बेडकर जी के मां का निधन हो गया और फिर उनकी चाची ने उनकी देखभाल की। बाबा साहेब अम्बेडकर के दो भाई बलराम और आनंद राव और दो बहन मंजुला और तुलसा थी है और सभी बच्चों में से केवल अम्बेडकर उच्च विद्यालय गए थे। उनकी मां की मृत्यु हो जाने के बाद, उनके पिता ने फिर से विवाह किया और परिवार के साथ बॉम्बे चले गए। 15 साल की उम्र में अम्बेडकर जी ने रामाबाई जी से शादी की।

उनका जन्म गरीब दलित जाति परिवार में हुआ था जिसके कारण उन्हें बचपन में जातिगत भेदभाव और अपमान का सामना करना पड़ा। उनके परिवार को उच्च वर्ग के परिवारों द्वारा अछूत माना जाता था। अम्बेडकर जी के पूर्वज तथा उनके पिता ब्रिटिश ईस्ट इंडियन आर्मी में लंबे समय तक कार्य किया था। अम्बेडकर जी अस्पृश्य स्कूलों में भाग लेते थे, लेकिन उन्हें शिक्षकों द्वारा महत्व नहीं दिया जाता था।

उन्हें ब्राह्मणों और विशेषाधिकार प्राप्त समाज के उच्च वर्गों से अलग, कक्षा के बाहर बैठाया जाता था, यहां तक ​​कि जब उन्हें पानी पीना होता था, तब उन्हें चपरासी द्वारा ऊंचाई से पानी डाला जाता था क्योंकि उन्हें पानी और उसके बर्तन को छूने की अनुमति नहीं थी। उन्होंने इसे अपने लेखन ‘चपरासी नहीं तो पानी नहीं’ में वर्णित किया है। अम्बेडकर जी को आर्मी स्कूल के साथ-साथ हर जगह समाज द्वारा अलगाव और अपमान का सामना करना पड़ा।

डॉ भीमराव अम्बेडकर की शिक्षा

वह एकमात्र दलित व्यक्ति थे जो मुंबई में एल्फिंस्टन हाई स्कूल में पढ़ने के लिए गये थे। उन्होंने मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद 1908 में एल्फिंस्टन कॉलेज में दाखिला लिया। उनकी सफलता दलितो के लिए जश्न मनाने का कारण था क्योंकि वह ऐसा करने वाले पहले व्यक्ति थे। 1912 में उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीतिक विज्ञान में अपनी डिग्री प्राप्त की। उन्हें सयाजीराव गायकवाड़ द्वारा स्थापित योजना के तहत बड़ौदा राज्य छात्रवृत्ति मिली और अर्थशास्त्र का अध्ययन करने के लिए उन्होंने न्यूयॉर्क में कोलंबिया विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया।

जून 1915 में उन्होंने अर्थशास्त्र के साथ-साथ इतिहास, समाजशास्त्र, दर्शन और राजनीति जैसे अन्य विषयों में भी मास्टर डिग्री प्राप्त की। 1916 में वे लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में गए और अपने शोध प्रबंध पर काम किये “रुपये की समस्या: इसकी उत्पत्ति और समाधान”, उसके बाद 1920 में वो इंग्लैंड गए वहां उन्हें लंदन विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की डिग्री मिली और 1927 में उन्होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी हासिल किया।

अपने बचपन की कठिनाइयों और गरीबी के बावजूद डॉ बीआर अम्बेडकर जी ने अपने प्रयासों और समर्पण के साथ अपनी पीढ़ी को शिक्षित बनने के लिए आगे बढ़ते रहे। वे विदेशों में अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट डिग्री प्राप्त करने वाले पहले भारतीय थे।

निबंध – 4 (600 शब्द)

भारत की आजादी के बाद सरकार ने डॉ बी. आर. अंमबेडकर को आमंत्रित किया था। डॉ अम्बेडकर ने स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। उन्हें भारत के नए संविधान और संविधान निर्माण समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। निर्माण समिति के अध्यक्ष होने के नाते संविधान को वास्तुकार रूप देने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ अम्बेडकर द्वारा तैयार किया गया संविधान, पहला सामाजिक दस्तावेज था। सामाजिक क्रांति को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने आवश्यक शर्तों की स्थापना की।

अम्बेडकर द्वारा तैयार किए गए प्रावधानों ने भारत के नागरिकों के लिए संवैधानिक आश्वासन और नागरिक स्वतंत्रता की सुरक्षा प्रदान की। इसमें धर्म की स्वतंत्रता, भेदभाव के सभी रूपों पर प्रतिबंध और छुआछूत को समाप्त करना भी शामिल था। अम्बेडकर जी ने महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक अधिकारों की भी वकालत की। उन्होंने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और अन्य पिछड़े वर्ग के सदस्यों के लिए प्रशासनिक सेवाओं, कॉलेजों और स्कूलों में नौकरियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था करने का कार्य किया।

जाति भेदभाव को खत्म करने के लिए डॉ भीमराव अम्बेडकर की भूमिका

जाति व्यवस्था एक ऐसी प्रणाली है जिसमें एक व्यक्ति के स्थिति, कर्तव्यों और अधिकारों का भेद किसी विशेष समूह में किसी व्यक्ति के जन्म के आधार पर किया जाता है। यह सामाजिक असमानता का कठोर रूप है। बाबासाहेब अम्बेडकर का जन्म एक माहर जाति के एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके परिवार को निरंतर सामाजिक और आर्थिक भेदभाव के अधीन रखा गया था।

बचपन में उन्हें महार जाति, जिसे एक अछूत जाति माना जाता है से होने के कारण सामाजिक बहिष्कार, छुआछूत और अपमान का सामना करना पड़ता था। बचपन में स्कूल के शिक्षक उनपर ध्यान नहीं देते थे और ना ही बच्चे उसके साथ बैठकर खाना खाते थे, उन्हें पानी के बर्तन को छुने तक का अधिकार नहीं था तथा उन्हें सबसे दुर कक्षा के बाहर बैठाया जाता था।

जाति व्यवस्था के कारण, समाज में कई सामाजिक बुराईयां प्रचलित थीं। बाबासाहेब अम्बेडकर के लिए धार्मिक धारणा को समाप्त करना आवश्यक था जिस पर जाति व्यवस्था आधारित थी। उनके अनुसार, जाति व्यवस्था सिर्फ श्रम का विभाजन नहीं बल्कि मजदूरों का विभाजन भी था। वे सभी समुदायों की एकता में विश्वास रखते थे। ग्रेज इन में बार कोर्स करने के बाद उन्होंने अपना कानूनी व्यवसाय शुरू किया। उन्होंने जातिगत भेदभाव के मामलों की वकालत में अपना अद्भुत कौशल दिखाया। ब्राह्मणों के खिलाफ, गैर ब्राह्मण की रक्षा करने में उनकी जीत ने उनके भविष्य की लड़ाईयो की आधारशिला को स्थापित किया ।

बाबासाहेब ने दलितों के पूर्ण अधिकारों के लिए कई आंदोलनों की शुरूआत की। उन्होंने सभी जातियों के लिए सार्वजनिक जल स्रोत और मंदिरों में प्रवेश करने के अधिकार की मांग की। उन्होंने भेदभाव का समर्थन करने वाले हिंदू शास्त्रों की भी निंदा की।

डॉ भीमाराव अम्बेडकर को जिस जाति भेदभाव के कारण पूरे जीवन पीड़ा और अपमान का सामना करना पड़ा था, उन्होंने उसी के खिलाफ लड़ने का फैसला किया। उन्होंने अस्पृश्यों और अन्य उपेक्षा समुदायों के लिए अलग चुनावी व्यवस्था के विचार का प्रस्ताव रखा। उन्होंने दलितों और अन्य बहिष्कृत लोगों के लिए आरक्षण की अवधारणा पर विचार करते हुए इसे मूर्त रुप दिया। 1932 में, सामान्य मतदाताओं के भीतर अस्थायी विधायिका में दलित वर्गों के लिए सीटों के आरक्षण हेतु बाबासाहेब अम्बेडकर और पंडित मदन मोहन मालवीय जी के द्वारा पूना संधि पर हस्ताक्षर किया गया।

पूना संधि का उद्देश्य, संयुक्त मतदाताओं की निरंतरता में बदलाव के साथ निम्न वर्ग को अधिक सीट देना था। बाद में इन वर्गों को अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के रूप में संदर्भित किया गया। लोगों तक पहुंचने और उन्हें सामाजिक बुराइयों के नकारात्मक प्रभाव को समझाने के लिए अम्बेडकर जी ने मूकनायक (चुप्पी के नेता) नामक एक अख़बार शुभारंभ किया।

बाबासाहेब अम्बेडकर, महात्मा गांधी के हरिजन आंदोलन में भी शामिल हुए। जिसमे उन्होंने भारत के पिछड़े जाति के लोगों द्वारा सामना किए जाने वाले सामाजिक अन्याय के विरोध में अपना योगदान दिया। बाबासाहेब अम्बेडकर और महात्मा गांधी उन प्रमुख व्यक्तियो में से एक थे, जिन्होंने भारत से अस्पृश्यता को समाप्त करने में बहुत बड़ा योगदान दिया।

इस प्रकार डॉ बीआर अम्बेडकर जी ने जीवन भर न्याय और असमानता के लिए संघर्ष किया। उन्होंने जाति भेदभाव और असमानता के उन्मूलन के लिए काम किया। उन्होंने दृढ़ता से न्याय और सामाजिक समानता में विश्वास किया और यह सुनिश्चित किया कि संविधान में धर्म और जाति के आधार पर कोई भेदभाव ना हो। वे भारतीय गणराज्य के संस्थापको में से एक थे।

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  • युवा पर निबंध – (Youth Essay)
  • अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
  • मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
  • परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
  • पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
  • असंतुलित लिंगानुपात निबंध – (Sex Ratio Essay)
  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
  • मेट्रो रेल पर निबंध – (Metro Rail Essay)
  • दूरदर्शन पर निबंध – (Importance Of Doordarshan Essay)
  • दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – (Doordarshan Essay)
  • बस्ते का बढ़ता बोझ पर निबंध – (Baste Ka Badhta Bojh Essay)
  • महानगरीय जीवन पर निबंध – (Metropolitan Life Essay)
  • दहेज नारी शक्ति का अपमान है पे निबंध – (Dowry Problem Essay)
  • सुरीला राजस्थान निबंध – (Folklore Of Rajasthan Essay)
  • राजस्थान में जल संकट पर निबंध – (Water Scarcity In Rajasthan Essay)
  • खुला शौच मुक्त गाँव पर निबंध – (Khule Me Soch Mukt Gaon Par Essay)
  • रंगीला राजस्थान पर निबंध – (Rangila Rajasthan Essay)
  • राजस्थान के लोकगीत पर निबंध – (Competition Of Rajasthani Folk Essay)
  • मानसिक सुख और सन्तोष निबंध – (Happiness Essay)
  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध नंबर – (My Aim In Life Essay)
  • राजस्थान में पर्यटन पर निबंध – (Tourist Places Of Rajasthan Essay)
  • नर हो न निराश करो मन को पर निबंध – (Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko Essay)
  • राजस्थान के प्रमुख लोक देवता पर निबंध – (The Major Folk Deities Of Rajasthan Essay)
  • देशप्रेम पर निबंध – (Patriotism Essay)
  • पढ़ें बेटियाँ, बढ़ें बेटियाँ योजना यूपी में लागू निबंध – (Read Daughters, Grow Daughters Essay)
  • सत्संगति का महत्व पर निबंध – (Satsangati Ka Mahatva Nibandh)
  • सिनेमा और समाज पर निबंध – (Cinema And Society Essay)
  • विपत्ति कसौटी जे कसे ते ही साँचे मीत पर निबंध – (Vipatti Kasauti Je Kase Soi Sache Meet Essay)
  • लड़का लड़की एक समान पर निबंध – (Ladka Ladki Ek Saman Essay)
  • विज्ञापन के प्रभाव – (Paragraph Speech On Vigyapan Ke Prabhav Essay)
  • रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य पर निबंध – (Railway Platform Ka Drishya Essay)
  • समाचार-पत्र का महत्त्व पर निबंध – (Importance Of Newspaper Essay)
  • समाचार-पत्रों से लाभ पर निबंध – (Samachar Patr Ke Labh Essay)
  • समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)
  • व्यायाम का महत्व निबंध – (Importance Of Exercise Essay)
  • विद्यार्थी जीवन पर निबंध – (Student Life Essay)
  • विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध – (Students And Politics Essay)
  • विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – (Vidyarthi Aur Anushasan Essay)
  • मेरा प्रिय त्यौहार निबंध – (My Favorite Festival Essay)
  • मेरा प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favourite Book Essay)
  • पुस्तक मेला पर निबंध – (Book Fair Essay)
  • मेरा प्रिय खिलाड़ी निबंध हिंदी में – (My Favorite Player Essay)
  • सर्वधर्म समभाव निबंध – (All Religions Are Equal Essay)
  • शिक्षा में खेलकूद का स्थान निबंध – (Shiksha Mein Khel Ka Mahatva Essay)a
  • खेल का महत्व पर निबंध – (Importance Of Sports Essay)
  • क्रिकेट पर निबंध – (Cricket Essay)
  • ट्वेन्टी-20 क्रिकेट पर निबंध – (T20 Cricket Essay)
  • मेरा प्रिय खेल-क्रिकेट पर निबंध – (My Favorite Game Cricket Essay)
  • पुस्तकालय पर निबंध – (Library Essay)
  • सूचना प्रौद्योगिकी और मानव कल्याण निबंध – (Information Technology Essay)
  • कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव निबंध – (Computer Aur Tv Essay)
  • कंप्यूटर की उपयोगिता पर निबंध – (Computer Ki Upyogita Essay)
  • कंप्यूटर शिक्षा पर निबंध – (Computer Education Essay)
  • कंप्यूटर के लाभ पर निबंध – (Computer Ke Labh Essay)
  • इंटरनेट पर निबंध – (Internet Essay)
  • विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध – (Science Essay)
  • शिक्षा का गिरता स्तर पर निबंध – (Falling Price Level Of Education Essay)
  • विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (Advantages And Disadvantages Of Science Essay)
  • विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा निबंध – (Health Education Essay)
  • विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
  • विज्ञान के वरदान पर निबंध – (The Gift Of Science Essays)
  • विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder Of Science Essay in Hindi)
  • विकास पथ पर भारत निबंध – (Development Of India Essay)
  • कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र–पुरुष – (Computer Essay)
  • मोबाइल फोन पर निबंध (Mobile Phone Essay)
  • मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – (My Unforgettable Trip Essay)
  • मंगल मिशन (मॉम) पर निबंध – (Mars Mission Essay)
  • विज्ञान की अद्भुत खोज कंप्यूटर पर निबंध – (Vigyan Ki Khoj Kampyootar Essay)
  • भारत का उज्जवल भविष्य पर निबंध – (Freedom Is Our Birthright Essay)
  • सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा निबंध इन हिंदी – (Sare Jahan Se Achha Hindustan Hamara Essay)
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India)
  • भारतीय संस्कृति पर निबंध – (India Culture Essay)
  • राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध – (National Language Hindi Essay)
  • भारत में जल संकट निबंध – (Water Crisis In India Essay)
  • कौशल विकास योजना पर निबंध – (Skill India Essay)
  • हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
  • अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – (Unity In Diversity Essay)
  • महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
  • महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
  • आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
  • मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
  • ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
  • भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
  • भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
  • आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
  • चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
  • चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
  • परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
  • आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
  • भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
  • संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
  • भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
  • राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – (Narendra Modi Essay)
  • बाल मजदूरी पर निबंध – (Child Labour Essay)
  • भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
  • बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – (Child Marriage Essay)
  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
  • आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi)
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi)
  • बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध – (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)
  • गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
  • सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
  • सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
  • परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
  • पेड़-पौधे का महत्व निबंध – (The Importance Of Trees Essay)
  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
  • महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Women’s Role In Society Essay In Hindi)
  • यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – (If I Was The Principal Essay)
  • बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
  • शिक्षित बेरोजगारी की समस्या निबंध – (Problem Of Educated Unemployment Essay)
  • बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
  • दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
  • जनसँख्या पर निबंध – (Population Essay)
  • श्रम का महत्त्व निबंध – (Importance Of Labour Essay)
  • जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम पर निबंध – (Problem Of Increasing Population Essay)
  • भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
  • मीडिया और सामाजिक उत्तरदायित्व निबंध – (Social Responsibility Of Media Essay)
  • हमारे जीवन में मोबाइल फोन का महत्व पर निबंध – (Importance Of Mobile Phones Essay In Our Life)
  • विश्व में अत्याधिक जनसंख्या पर निबंध – (Overpopulation in World Essay)
  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – (Problem Of Unemployment In India Essay)
  • गणतंत्र दिवस पर निबंध – (Republic Day Essay)
  • भारत के गाँव पर निबंध – (Indian Village Essay)
  • गणतंत्र दिवस परेड पर निबंध – (Republic Day of India Essay)
  • गणतंत्र दिवस के महत्व पर निबंध – (2020 – Republic Day Essay)
  • महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay)
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  • परिवार नियोजन पर निबंध – (Family Planning In India Essay)
  • मेरा सच्चा मित्र पर निबंध – (My Best Friend Essay)
  • अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay)
  • देश के प्रति मेरे कर्त्तव्य पर निबंध – (My Duty Towards My Country Essay)
  • समय का सदुपयोग पर निबंध – (Samay Ka Sadupyog Essay)
  • नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर निबंध (Rights And Responsibilities Of Citizens Essay In Hindi)
  • ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – (Global Warming Essay)
  • जल जीवन का आधार निबंध – (Jal Jeevan Ka Aadhar Essay)
  • जल ही जीवन है निबंध – (Water Is Life Essay)
  • प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – (Pollution Problem And Solution Essay)
  • प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay In Hindi)
  • वन जीवन का आधार निबंध – (Forest Essay)
  • पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Environment Essay)
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)
  • पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay In Hindi)
  • बढ़ते वाहन घटता जीवन पर निबंध – (Vehicle Pollution Essay)
  • योग पर निबंध (Yoga Essay)
  • मिलावटी खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य पर निबंध – (Adulterated Foods And Health Essay)
  • प्रकृति निबंध – (Nature Essay In Hindi)
  • वर्षा ऋतु पर निबंध – (Rainy Season Essay)
  • वसंत ऋतु पर निबंध – (Spring Season Essay)
  • बरसात का एक दिन पर निबंध – (Barsat Ka Din Essay)
  • अभ्यास का महत्व पर निबंध – (Importance Of Practice Essay)
  • स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – (Health Is Wealth Essay)
  • महाकवि तुलसीदास का जीवन परिचय निबंध – (Tulsidas Essay)
  • मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
  • मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

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  • Jivan Parichay (जीवन परिचय) /

Mother Teresa Biography in Hindi | मदर टेरेसा की जीवनी

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  • Updated on  
  • अगस्त 18, 2023

Mother Teresa Biography in Hindi

अपने और अपने परिवार के लिए हर कोई सोचता है और बड़े-बड़े सपने देखता है, लेकिन जो लोग समाज और दूसरों के लिए सोचते है, उनकी दुनिया में अलग ही पहचान बनती है। दूसरों के लिए सोचने और कुछ करने वालो में मदर टेरेसा का नाम शामिल है। मदर टेरेसा किसी परिचय की ज़रूरत नहीं हैं। अपना जीवन दूसरों के नाम कर देना ही उनकी असली कमाई है। कई बार परीक्षाओं या इंटरव्यू के दौरान मदर टेरेसा के बारे में पूछा जाता है, इसलिए इस ब्लाॅग में हम Mother Teresa Biography in Hindi विस्तार से जानेंगे।

This Blog Includes:

मदर टेरेसा का शुरुआती जीवन, मदर टेरेसा के बारे में हिंदी में, मदर टेरेसा के कार्य, मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी की शुरुआत, मदर टेरेसा की वैश्विक प्रसिद्धि और पुरस्कार, मदर टेरेसा की मृत्यु, मदर टेरेसा के अनमोल विचार, क्या आप मदर टेरेसा के बारे में ये तथ्य जानते हैं.

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मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 में मैसेडोनिया गणराज्य की राजधानी स्कोप्जे में हुआ था। इनका नाम अगनेस गोंझा बोयाजिजू (Agnes Gonxha Bojaxhiu) था। उन्होंने अपने प्रारंभिक जीवन का बड़ा हिस्सा चर्च में बिताया। लेकिन शुरुआत में उन्होंने नन बनने के बारे में नहीं सोचा था। डबलिन में अपना काम ख़त्म करने के बाद मदर टेरेसा भारत के कोलकाता (कलकत्ता) आ गईं। उन्हें टेरेसा का नया नाम मिला। उनकी मातृ प्रवृत्ति के कारण उनका प्रिय नाम मदर टेरेसा पड़ा, जिससे पूरी दुनिया उन्हें जानती है। जब वह कोलकाता में थीं, तब वह एक स्कूल में शिक्षिका हुआ करती थीं। यहीं से उनके जीवन में जोरदार बदलाव आए और अंततः उन्हें “हमारे समय की संत” की उपाधि से सम्मानित किया गया।

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Mother Teresa Biography in Hindi में मदर टेरेसा के बारे में इस प्रकार बताया गया हैः

  • मदर टेरेसा सुरीली आवाज की धनी थीं और वह चर्च में अपनी मां और बहन के साथ गाया करती थीं।
  • 12 साल की उम्र में वह अपने चर्च के साथ एक धार्मिक यात्रा में गई थी, जिसके बाद उनका मन बदल गया।
  • 1928 में 18 साल के होने पर अगनेस ने बपतिस्मा लिया और क्राइस्ट को अपना लिया। इसके बाद वे डबलिन में जाकर रहने लगी, इसके बाद वे वापस कभी अपने घर नहीं गईं।
  • नन बनने के बाद उनका नया जन्म हुआ और उन्हें सिस्टर मेरी टेरेसा नाम मिला।
  • जब वह केवल 9 वर्ष की थीं, तब उनके पिता निकोला बोजाक्सीहु की मृत्यु हो गई थी। निकोला की मौत के बाद उसके बिजनेस पार्टनर सारा पैसा लेकर भाग गए। उस समय विश्व युद्ध भी चल रहा था, इन सभी कारणों से उनका परिवार भी आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। वह उनके और उनके परिवार के लिए सबसे दुखद समय था।

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1929 में मदर टेरेसा अपने इंस्टीट्यूट की बाकी नन के साथ मिशनरी के काम से भारत के दार्जिलिंग शहर आईं। यहां उन्हें मिशनरी स्कूल में पढ़ाने के लिए भेजा गया था। मई 1931 में उन्होंने नन के रूप में प्रतिज्ञा ली। इसके बाद उन्हें भारत के कलकत्ता शहर के ‘लोरेटो कॉन्वेंट आ गईं’। यहां उन्हें गरीब बंगाली लड़कियों को शिक्षा देने के लिए कहा गया। डबलिन की सिस्टर लोरेटो द्वारा सैंट मैरी स्कूल की स्थापना की गई, जहां गरीब बच्चे पढ़ते थे। मदर टेरेसा को बंगाली व हिंदी दोनों भाषा का बहुत अच्छे से ज्ञान था।

कलकत्ता में उन्होंने वहां की गरीबी, लोगों में फैलती बीमारी, लाचारी व अज्ञानता को करीब से देखा। ये सब बातें उनके मन में घर करने लगी और वे कुछ ऐसा करना चाहती थीं। 1937 में उन्हें मदर की उपाधि से सम्मानित किया गया और 1944 में वे सैंट मैरी स्कूल की प्रिंसीपल भी बन गईं।

वह एक अनुशासित शिक्षिका थीं और स्टूडेंट्स उनसे बहुत स्नेह करते थे। वर्ष 1944 में वह हेडमिस्ट्रेस बन गईं। उनका मन शिक्षण में पूरी तरह रम गया था पर उनके आस-पास फैली गरीबी, दरिद्रता और लाचारी उनके मन को बहुत अशांत करती थी।

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‘मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी’ की शुरुआत 13 लोगों के साथ हुई थी। 1946 में उन्होंने गरीबों, असहायों, बीमारों और लाचारों की मदद करने का मन बना लिया। इसके बाद मदर टेरेसा ने पटना के होली फॅमिली हॉस्पिटल से आवश्यक नर्सिंग ट्रेनिंग पूरी की और 1948 में वापस कोलकाता आ गईं और वहां से पहली बार तालतला गई, जहां वह गरीब बुजुर्गो की देखभाल करने वाली संस्था के साथ रहीं।

धीरे-धीरे उन्होंने अपने कार्य से लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। इन लोगों में देश के उच्च अधिकारी और भारत के प्रधानमंत्री भी शामिल थे, जिन्होंने उनके कार्यों की सराहना की। 7 अक्टूबर 1950 को उन्हें वैटिकन सिटी से ‘मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी’ की स्थापना की अनुमति मिली। इस संस्था का उद्देश्य भूखों, निर्वस्त्र, बेघर, दिव्यांगों, चर्म रोग से ग्रसित और ऐसे लोगों की सहायता करना था जिनके लिए समाज में कोई जगह नहीं थी। मदर टेरेसा ने ‘निर्मल हृदय’ और ‘निर्मला शिशु भवन’ के नाम से आश्रम भी खोले।

जब वह भारत आईं तो उन्होंने यहां बेसहारा और विकलांग बच्चों और सड़क के किनारे पड़े असहाय रोगियों की दयनीय स्थिति को अपनी आंखों से देखा। इसके बाद उन्होंने जनसेवा का जो व्रत लिया, उसका पालन लगातार करती रहीं।

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मदर टेरेसा के काम को दुनिया भर में मान्यता और सराहना मिली है। Mother Teresa Biography in Hindi में हम जानेंगे कि उन्हें विश्व स्तर पर कौन-कौन से अवार्ड दिए गएः

  • 1962 में भारत सरकार से पद्मश्री
  • 1980 में भारत रत्न (देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान)
  • 1985 में अमेरिका का मेडल आफ़ फ्रीडम 
  • 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार (मानव कल्याण के लिए किये गए कार्यों के लिए) 
  • मदर तेरस ने नोबेल पुरस्कार की 192,000 डॉलर की धन-राशि को गरीबों के लिए एक फंड के तौर पर इस्तेमाल करने का निर्णय लिया।
  • 2003 में पॉप जॉन पोल ने मदर टेरेसा को धन्य कहा, उन्हें ब्लेस्ड टेरेसा ऑफ़ कलकत्ता कहकर सम्मानित किया गया था।

वर्ष 1983 में 73 वर्ष की आयु में मदर टेरेसा को पहली बार दिल का दौरा पड़ा। उस समय मदर टेरेसा रोम में पॉप जॉन पॉल द्वितीय से मिलने के लिए गई थीं। दूसरा दिल का दौरा उन्हें 1989 में आया और उन्हें पेसमेकर लगाया गया। 1991 में मैक्सिको में न्यूमोनिया के बाद उनके ह्रदय की परेशानी और बढ़ गयी। इसके बाद उनकी सेहत लगातार गिरती रही। 5 सितंबर 1997 को उनकी मौत हो गई। उनकी मौत के समय तक ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ में 4000 सिस्टर और 300 अन्य सहयोगी संस्थाएं काम कर रही थीं जो विश्व के 123 देशों में समाज सेवा में कार्यरत थीं।

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Mother Teresa Biography in Hindi में मदर टेरेसा के अनमोल विचार नीचे बताए जा रहे हैं, जो आपका लोगों के प्रति नजरिया बदल सकते हैंः  

“मैं चाहती हूँ कि आप अपने पड़ोसी के बारे में चिंतित रहें। क्या आप अपने पड़ोसी को जानते हैं?”

“यदि हमारे बीच शांति की कमी है तो वह इसलिए क्योंकि हम भूल गए हैं कि हम एक दूसरे से संबंधित हैं।”

“यदि आप एक सौ लोगों को भोजन नहीं करा सकते हैं, तो कम से कम एक को ही करवाएं।”

Mother Teresa Biography in Hindi

“यदि आप प्रेम संदेश सुनना चाहते हैं तो पहले उसे खुद भेजें। जैसे एक चिराग को जलाए रखने के लिए हमें दिए में तेल डालते रहना पड़ता है।”

“अकेलापन सबसे भयानक ग़रीबी है।”

“अपने क़रीबी लोगों की देखभाल कर आप प्रेम की अनुभूति कर सकते हैं।”

Mother Teresa Biography in Hindi

“अकेलापन और अवांछित रहने की भावना सबसे भयानक ग़रीबी है।”

“अनुशासन लक्ष्यों और उपलब्धि के बीच का पुल है।”

“सादगी से जियें ताकि दूसरे भी जी सकें।”

“प्रत्येक वस्तु जो नहीं दी गयी है खोने के सामान है।”

“हम सभी महान कार्य नहीं कर सकते लेकिन हम कार्यों को प्रेम से कर सकते हैं।”

“हम सभी ईश्वर के हाथ में एक कलम के सामान है।”

मदर टेरेसा के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैंः

  • मदर टेरेसा कहा करती थीं कि 12 साल की उम्र से ही उन्हें रोमन कैथोलिक नन बनने का आकर्षण महसूस होने लगा था। एक बच्ची के रूप में भी, उन्हें मिशनरियों की कहानियाँ पसंद थीं।
  • उनका असली नाम एग्नेस गोंक्सा बोजाक्सीहु था। हालाँकि, आयरलैंड में इंस्टीट्यूट ऑफ द ब्लेस्ड वर्जिन मैरी में समय बिताने के बाद उन्होंने मदर टेरेसा नाम चुना।
  • मदर टेरेसा अंग्रेजी, हिंदी, बंगाली, अल्बानियाई और सर्बियाई समेत पांच भाषाएं जानती थीं। यही कारण है कि वह दुनिया के विभिन्न हिस्सों के कई लोगों के साथ संवाद करने में सक्षम थी।
  • मदर टेरेसा को दान और गरीबों के प्रति उनकी मानवीय सेवाओं के लिए 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। हालांकि, उन्होंने पूरा पैसा कोलकाता के गरीबों और दान में दान कर दिया।
  • धर्मार्थ कार्य शुरू करने से पहले वह कोलकाता के लोरेटो-कॉन्वेंट स्कूल में हेडमिस्ट्रेस थीं, जहां उन्होंने लगभग 20 वर्षों तक एक शिक्षिका के रूप में काम किया और स्कूल छोड़ दिया क्योंकि वह स्कूल के आसपास की गरीबी के बारे में अधिक चिंतित हो गईं।
  • मदर टेरेसा ने अपना अधिकांश समय भारत में गरीबों और अस्वस्थ लोगों के कल्याण के लिए बिताया।
  • कोलकाता में स्ट्रीट स्कूल और अनाथालय भी शुरू किए।
  • मदर टेरेसा ने 1950 में मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी के नाम से अपनी संस्था शुरू की। संगठन आज भी गरीबों और बीमारों की देखभाल करते हैं। साथ ही, दुनिया के विभिन्न हिस्सों में संगठन की कई शाखाएँ हैं।
  • मदर टेरेसा ने वेटिकन और संयुक्त राष्ट्र में भाषण दिया जो एक ऐसा अवसर है जो केवल कुछ चुनिंदा प्रभावशाली लोगों को ही मिलता है।
  • मदर टेरेसा का भारत में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया, जिसे सम्मान स्वरूप सरकार द्वारा केवल कुछ महत्वपूर्ण लोगों को ही दिया जाता है।
  • 2015 में उन्हें रोमन कैथोलिक चर्च के पोप फ्रांसिस द्वारा संत बनाया गया था। इसे कैनोनेज़ेशन के रूप में भी जाना जाता है और अब उन्हें कैथोलिक चर्च में कलकत्ता की सेंट टेरेसा के रूप में जाना जाता है।

1979 में  नोबेल शांति पुरस्कार से।

मिशनरीज ऑफ चैरिटी की।

अगनेस गोंझा बोयाजिजू।

आशा है कि आपको Mother Teresa Biography in Hindi का यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध व्यक्तियों के   जीवन परिचय  के बारे पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें। 

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देवांग मैत्रेय

स्टडी अब्रॉड फील्ड के हिंदी एडिटर देवांग मैत्रे को कंटेंट और एडिटिंग में आधिकारिक तौर पर 7 वर्षों से ऊपर का अनुभव है। वह पूर्व में पोलिटिकल एडिटर-रणनीतिकार, एसोसिएट प्रोड्यूसर और कंटेंट राइटर/एडिटर रह चुके हैं। पत्रकारिता से अलग इन्हें अन्य क्षेत्रों में भी काम करने का अनुभव है। देवांग को काम से अलग आप नियो-नोयर फिल्म्स, सीरीज व ट्विटर पर गंभीर चिंतन करते हुए ढूंढ सकते हैं।

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